आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
मैं अपनी सारी चिंताओं को छोड़
इस ज़िन्दगी के लिए
उस परमात्मा का शुक्रगुजार होता
मैं खुश होता
शायद मुस्कुराता
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
मैं फूलों में समय ना गंवाता
अपनी ज़िन्दगी के बीते हुए लम्हों को निहारता
और मुस्कुराता
कि अच्छा वक़्त गुज़रा
सबको उनका यथोचित लौटाता
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
सबको देता
अपना प्यार अपना दुलार अपनी फ़िक्र
सबको बताता
ज़िन्दगी को जिंदादिली से जियो
अहम् और अहंकार को छोड़ो
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
जो भी मिलता
उसे ख़ुशी ख़ुशी स्वीकारता
उस मृत्यु को भी
क्योंकि
मृत्यु तो जीवन है
एक नवजीवन
मैं अपनी सारी चिंताओं को छोड़
इस ज़िन्दगी के लिए
उस परमात्मा का शुक्रगुजार होता
मैं खुश होता
शायद मुस्कुराता
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
मैं फूलों में समय ना गंवाता
अपनी ज़िन्दगी के बीते हुए लम्हों को निहारता
और मुस्कुराता
कि अच्छा वक़्त गुज़रा
सबको उनका यथोचित लौटाता
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
सबको देता
अपना प्यार अपना दुलार अपनी फ़िक्र
सबको बताता
ज़िन्दगी को जिंदादिली से जियो
अहम् और अहंकार को छोड़ो
आज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
जो भी मिलता
उसे ख़ुशी ख़ुशी स्वीकारता
उस मृत्यु को भी
क्योंकि
मृत्यु तो जीवन है
एक नवजीवन
अच्छी भावना पिरोई है आपने शब्दों में !
ReplyDeleteआज अगर मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता
ReplyDeleteसबको देता
अपना प्यार अपना दुलार अपनी फ़िक्र.....बहुत खूब