Friday 29 June 2012

तुम बहुत खूबसूरत हो

आज तुम नहीं थे मेरे पास 

तुम्हारी याद मुझे बहुत सता रही थी 

मैंने बटुए से तुम्हारी तस्वीर निकाली 

घंटों निहारता रहा उसे 

आज कितने दिनों बाद 

तुम्हारी तस्वीर देखने का मौका मिला 

तुम कितनी खूबसूरत हो 

साथ रहते रहते 

मैं ये शायद भूल गया था 

तुम्हें सामने देखते देखते 

मेरी आँखें 

जैसे अभ्यस्त सी हो गयीं थीं 

तुम्हारे चेहरे से 

रोज़ की आपा धापी में 

तुम्हारी खूबसूरती को 

निहारने का कभी वक्त ही नहीं मिला 

आज जब तुम पास नहीं हो 

तो मुझे ये अनायास ही बोध हुआ 

तुम सच में बहुत खूबसूरत हो


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