Thursday 6 September 2012

जिंदगी के क़र्ज़

ज़िन्दगी के

कुछ क़र्ज़ थे चुकाने

सो

आज मैंने अपने कुछ सपने

बेच दिए

उनको

जो थे तो जाने पहचाने

पर

मेरे दर्द से बिलकुल अनजाने

शायद

मेरे सपनों से

उनके क़र्ज़ का बोझ

कुछ हल्का हो जाये

मैं भी चैन से जी सकूं

उनका दिल भी सुकून पाए 

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