हम और तुम
थे अजनबी
दो जान
अलग अलग
दो ज़िन्दगी
अलग अलग
दो परिवेश
अलग अलग
रस्म-ओ-रिवाज़
अलग अलग
सोच विचार
अलग अलग
पर कुछ ऐसा था
जो एक जैसा था
हमारी नियति की रेखायें
जो हमें
एक दूसरे की तरफ खींच रहे थे
जब से
हम चले थे
हम मिले
इन रेखाओं के संगम पर
और फिर
इस संगम के पार
जाने कैसे
हम
दो बदन
एक जान हो गये
खुद को छोड़
दूसरे की पहचान हो गये
अब तो चोट तुमको लगती है
तो दर्द मुझको होता है
खुशियाँ कितनी भी क्यूँ ना हो
जो तुम न मुस्कुराओ
तो कम ही होता है
इस सफ़र में
सुख और दुःख
आते जाते रहे
हमें
और हमारी सहनशक्ति को
आज़माते रहे
साथ तुम थी
तो हम थे
साथ तुम हो
तो हम हैं
हमारा यह सफ़र
जाने कितने मोड़ों से
गुज़रा होगा
जाने कितने मौकों पर
ठहरा होगा
पर
बस एक साथ तुम्हारा पाकर
चलता रहा हूँ मेरी हमसफ़र
मेरी ज़िन्दगी मेरी हमनफज़
तुमसे बस इतना ही है कहना
बस यूँ ही मेरे संग संग रहना
थे अजनबी
दो जान
अलग अलग
दो ज़िन्दगी
अलग अलग
दो परिवेश
अलग अलग
रस्म-ओ-रिवाज़
अलग अलग
सोच विचार
अलग अलग
पर कुछ ऐसा था
जो एक जैसा था
हमारी नियति की रेखायें
जो हमें
एक दूसरे की तरफ खींच रहे थे
जब से
हम चले थे
हम मिले
इन रेखाओं के संगम पर
और फिर
इस संगम के पार
जाने कैसे
हम
दो बदन
एक जान हो गये
खुद को छोड़
दूसरे की पहचान हो गये
अब तो चोट तुमको लगती है
तो दर्द मुझको होता है
खुशियाँ कितनी भी क्यूँ ना हो
जो तुम न मुस्कुराओ
तो कम ही होता है
इस सफ़र में
सुख और दुःख
आते जाते रहे
हमें
और हमारी सहनशक्ति को
आज़माते रहे
साथ तुम थी
तो हम थे
साथ तुम हो
तो हम हैं
हमारा यह सफ़र
जाने कितने मोड़ों से
गुज़रा होगा
जाने कितने मौकों पर
ठहरा होगा
पर
बस एक साथ तुम्हारा पाकर
चलता रहा हूँ मेरी हमसफ़र
मेरी ज़िन्दगी मेरी हमनफज़
तुमसे बस इतना ही है कहना
बस यूँ ही मेरे संग संग रहना