Sunday, 23 September 2012

काले बादल

आज आसमान से

कुछ काले बादल चुरा लाया हूँ 

कोई देख ना ले 

इन्हें सबसे छुपा कर लाया हूँ 

कोई पिटारी मिले 

तो इन्हें सम्हाल लूं 

अबकी तपती गर्मी में 

जब कहीं कोई खेत सुखा होगा 

या कहीं कोई प्यासा होगा 

तब खोलूँगा पिटारी अपनी 

और निकालूँगा 

इन काले घनेरे बादलों को 

उनकी बूंदों से 

प्यासे की प्यास बुझाऊंगा 

खेतों में हरियाली लाऊंगा 

फिर जब सावन आएगा 

इन बादलों को 

वापस उनके घर ले जाऊंगा 

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