Monday 31 December 2012

ए मेरे खुदा


खुदा ने 

मुझसे पूछा 

तुझे किस नेमत से नवाजुं 

ए मेरे बंदे बता 

मैंने कहा 

ए मेरे खुदा 

मैं जिसको चाहूँ 

उसकी इबादत 

तुझसे पहले करूँ 

ये नेमत

मुझे कर अता 

खुदा ने कहा 

कर लेना तू इबादत उसकी 

मुझसे पहले 

पर क्या 

वो कर लेंगे इसे मंज़ूर 

ये मुझे बता 

मैंने कहा 

मंज़ूर उनको हो ना हो 

मोहब्बत मेरे लिये खुदा है 

और उसके सजदे में 

हमेशा सबसे पहले 

मेरा सर झुका है 







कुछ ख्याल दिल से .....


करके यकीं उस बेवफा का हम उससे दिल लगा बैठे 
जाने क्यूँ उसकी बातों में आकर अपना सुकूं गंवा बैठे 

शायद हमारा मिलना तय किया था उस खुदा ने 
तभी तुम फुल बनकर मेरी गुलशन में खिले हो 

बहुत ढूँढा हमने जहां में न जाने कहाँ कहाँ 
मेरा महबूब छुपा बैठा था मेरे दिल में यहाँ 

मेरी रूह में उतर गई है तू रूह बन कर 
मेरी हर सोच में तू है जिंदगी बन कर 

मुझे अपने ख्यालों में ओढ़ लेना तुम चुनरी समझ कर 
जिंदगी भर मैं उड़ता रहूँगा वहीँ उन फूलों की डाल पर 

आप दिल में बैठे हैं छुपकर नहीं होता मालूम 
'गर अपने दिल में ना झांका होता मैंने ज़ालिम 

हमने तो अपना आशियाँ तुम्हारे दिल में बनाया है 
अब तुम जहां जहां होगी मेरा आशियाँ साथ होगा 

मेहरबानियाँ भी उनकी बड़ी भारी रहीं इस दिल पर 
न शुक्रिया कह कर अदा कर पाये न मोहब्बत कर 

मत कहो शुक्रिया कि मैं दब जाता हूँ इन एहसानों तले 
बस ऐसे ही खिली रहो फुल बन जिसमे बस प्यार पले 

कभी ऐसा हो कि किसी सफर में तू मेरा हमसफ़र बने 
वो सफर कभी भी खत्म ना हो हम इक ऐसी डगर चुने 

उम्मीदों से ज्यादा दिया है मुझे उस खुदा ने 
मैंने तो प्यार माँगा था उसने तुम्हें सौंप दिया 

तुम मेरी किस्मत बन कर मेरी जिंदगी में आई हो 
अब मैं क्या कहूँ तुम दिल-ओ-दिमाग पर छाई हो 

मैं जो तुमसे कह रहा हूँ वो बस मेरी शायरी नहीं है 
तुम हो तुम हो और बस तुम हो और कुछ नहीं है 

वो अहद-ए-वफ़ा की कसमें खाकर मेरे ख़्वाबों से भी दूर रहे 
पर हम उनको कैसे भुलाते अपनी आदत से जो मजबूर रहे 

तस्सवुर में हम उनसे अक्सर मिलते हैं आजकल 
क्योंकि सामने मेरे कब से उन्होंने आना छोड़ दिया 

उनकी मुस्कराहट से हमें यह अहसास होता है 
वो कहीं भी रहें पर उनका दिल मेरे पास होता है    

हसरतों में उनके ना जाने कब से बैठा हूँ तस्वीर बनकर 
कब वो घड़ी आएगी जब आयेंगे वो मेरी तकदीर बनकर     

अपनी रूह से इक ताजमहल बनाऊंगा तुम्हारे लिये सनम 
वहाँ तुम होगी और होंगी मेरे प्यार की कितनी ही तरन्नुम 

ऐसे बेल की तरह लिपटे हैं वो मेरे मन के तने से 
तभी कहूँ मैं आखिर क्यूँ लगते हैं वो मेरे अपने से 

कुछ ख्याल दिल से ....


उन अल्फाजों में कभी भी मत उलझना 
इनकी आदत है खुद में सबको उलझाना 

धडकनों को अपने मैं गिनता रहा रात भर 
जब ख़्वाबों में तुम आये धडकनें बढ़ गयीं

इस दिल में क्या है तेरी खातिर क्या बताऊँ 
मेरे सारे जज़्बात तेरे वास्ते हैं अब क्या सुनाऊं 

गुरूर तो बहुत है उन्हें अपने हुस्न पर 
पर वो ढूँढते हैं हर तरफ बस मेरी नज़र 

यूँ बे-आहट आहिस्ते से उनका मेरे दिल से होकर गुज़र जाना ...
कमाल है बस इतनी सी पहचान से इस दिल का उनका हो जाना 

रुसवाइयों के दौर से गुज़रे हैं बड़ी मुश्किल से 
खुद को तो सम्हाल लिया पर मारे गए दिल से 

हम तो सोचे बैठे थे हमारे बगैर उनका बुरा हाल होगा 
मालूम नहीं था कोई और उनका यार-ए-मिसाल होगा 

जब मैल मन के अंदर हो ....
तन कितना भी क्यूँ ना सुन्दर हो ....
वो देव नहीं बस इक दानव है ....
मत समझो कि वह मानव है .... 

उनके ज़ुल्फ़ को जब हमने उनके चेहरे से हटाया 
यूँ लगा बादलों के ओट से आफताब निकल आया

हम उनके इंतज़ार में बैठे उनकी तस्वीर ताकते रहे 
और वो अपनी तस्वीर से ही मेरे दिल में झांकते रहे 

वो आने को कहते हैं मुझसे कि उनको करार आ जाता 
हम तो दिल में बसे थे उनके देखते तो प्यार आ जाता 

इख्तियार जब इस दिल पर न रहा हमने दिल सौंप दिया उन्हें 
वो नज़रें झुका शरमा रहे हैं दिल ने न जाने क्या कह दिया उन्हें

कुछ ख्याल दिल से ......


मंजिल कितनी भी क्यूँ न हो मुश्किल 
हौसला बुलंद हो तो हो जाती है हासिल 

सुलग रही है आग आज हर दिल और दिमाग में 
ज्वाला बन धधक रही है बाती आज हर चिराग में 

यूँ बेसबब तो कभी नहीं रोया मैं इतना 
पाकर भी सब कभी नहीं खोया मैं इतना


उसकी तड़प से सुकून यह दिल अब तभी पायेगा 
जब उसी कष्ट से उन दरिंदों को गुज़ारा जाएगा

कब तक सहते रहेंगे हम इन वहशियों की दरिंदगी 
कब तक लुटाती रहेंगी हमारी जननी यूँ ही जिंदगी 

अब कौन पोछेगा उन आंसुओं को उस माँ की 
जिसकी लाड़ली ने लड़ते लड़ते जान गंवा दी 

सुलग रही है आग आज हर दिल और दिमाग में 
कि जान फिर से आ गई आज इस इन्क़लाब में

दायरों में रहकर अपने 'गर जीना सीख ले इंसान 
राहत भरी होगी ये जिंदगी मुश्किलें होंगी आसान  

गुज़र ही जाएगा यह सफर जब चल पड़े हैं राह पर 
बस मिल जाये तेरी रहगुज़र और तू हो मेरी हमसफर  

गुज़र ही जाना है यह सफर जब चल पड़े हैं इस राह पर 
बस इक हौसला बुलंद हो फिर चाहे जैसी भी हो यह डगर  

काश दुआओं में हमारे इतना असर हो 
कि उस बेबस की रातों की नई सहर हो 

इक अनजाना सा दर्द यूँ ही सीने में चुभता रहा रात भर ..
शायद कहीं कोई मानवता को सरेआम लूटता रहा रात भर 

दर्द में डूबी हुई इक चीत्कार नहीं सुनी किसी ने कल 
मानवता चीख रही थी और घर घर के बंद थे सांकल  

ये कैसी बेरंग बेनूर महफ़िल है जिसमें न गीत है न शहनाई है 
शायद कोई अज़ीज़ खो गया है यहाँ तभी यूँ गम और तन्हाई है 

दरिंदगी यूँ ही अपना रूप दिखाती रही अगर 
चल पड़ेंगीं सब बेटियाँ फिर हिंसा की डगर 

उबल रही है जाने कितने नाज़ुक मनों में प्रतिशोध की ज्वालामुखी 
भस्म हो जायेंगे दुर्योधन दु:शासन सारे कहीं अगर जो वह फूट पड़ी 

तोड़ कर व्यूह हर बाधाओं का जो निकल आये 
नियति भी घबराती है उससे कोई पहल से पहले 

कुछ ख्याल दिल से ....


गरीब हैं वो सब इश्क में जिन्हें हुस्न नहीं है नसीब 
उनसे पूछो इश्क की कीमत हुस्न जिनके है करीब 

मेरी तो दुनिया वहीँ पर थम कर रह जायेगी 
जब तेरे कांपते लब मेरे लबों पर ठहर जायेगी


उनकी सुरीली आवाज़ यूँ अक्सर मेरे कानों में गुंजती थी 
जैसे उनके मन की वीणा के तार मेरे मन में बजती थी 

चलो मन को बहलाने के लिये कुछ करते हैं 
कुछ अपनी कहते हैं ...कुछ उनकी सुनते हैं 

आज जब उनकी आवाज़ सुनी 
यूँ लगा जैसे राग पखाज़ सुनी 

उन्हें ना जाने क्या सूझी है हमें इस तरह सताने की 
फिर हमहीं को करनी होगी कोई सूरत उन्हें मनाने की 

उनके साथ होने का अहसास कितना सुरीला है 
मेरे हमदम का हर इक अंदाज़ कितना नशीला है 

डर कर दिल की बीमारी से रखने लगा धडकनों का हिसाब 
जब जब आप आये ख्यालों में धडकनें बढ़ गयीं बेहिसाब 

गरीब हैं वो सब इश्क में जिन्हें वफ़ा नहीं है नसीब 
उनसे पूछो इश्क की कीमत वफ़ा जिनके है करीब 

मुद्दतों से आरज़ू थी कभी गैरों में कोई अपना मिले 
तुमसे जो मैं मिला तो जाने क्यूँ तुम अपने से लगे 

रास्ते और भी थे उन मंजिलों की जानिब जाने को 
पर तकदीर ने मुझे तेरी रहगुज़र पर ला खड़ा किया  

अब होश नहीं है मुझको यारों उनकी आँखों से पीने के बाद 
और कोई चाहत नहीं अब मेरी उनकी बाहों में जीने के बाद 

वो कहते हैं मेरी मोहब्बत ने उनको रुसवा किया है 
पर मैंने तो मोहब्बत में उनके बस सजदा किया है

चलो नहीं कहता कि मुझे तुमसे मोहब्बत है 
उस दिल का क्या करूँ जिसे तुमसे मोहब्बत है  

रात भर शम्मा जलती रही परवाने की आस में 
परवाना दर दर भटकता रहा शम्मा की तलाश में  

ये मेरी किस्मत कि वो करते हैं यकीं मेरी बातों का 
नहीं तो कौन करता ख्याल मेरी इन वीरान रातों का

ये मेरी किस्मत कि वो करते हैं ख्याल मेरी बातों का
नहीं तो कौन रखता है हिसाब किसी के जज्बातों का 

कुछ ख्याल दिल से ....


मेरे दिल की उन धडकनों का हिसाब दो मुझे 
जो तुम्हें देख कर बेसबब धड़क गया था वो 

क्यूँ हसरतों के दायरे में सिमट कर रहें हम 
जो दिल में है हमारे अपनी जुबां से कहें हम

जब से तुम इस बदन में जान बन कर आई हो 
तन मन से होकर तुम मेरे दिल में समाई हो 

झीने लिबास में से चमकता है तुम्हारा चांदी सा बदन 
देखने को जी करता है कैसा है मेरा सुन्दर सा सजन

उनको नशा है मेरी मोहब्बत का 
पर वो कहते हैं उन्होंने पी ली है

अरमानों को अपने हमने सौंपा था तुम्हें 
कहीं तुमने उन्हें नीलाम तो नहीं कर दिया 

वो कहते हैं मेरी बातों से संगीत बज उठता है उनके मन में 
और मेरे अहसास अक्सर लगा देते हैं आग उनके बदन में 

वो कहते हैं मेरी बातों से संगीत बज उठता है उनके मन में 
मेरे अहसास अक्सर जगा देते हैं मीठी तान उनके बदन में 

हमें करके गिरफ्तार अपने हुस्न की जंजीरों से 
वो देखते हैं तमाशा अपने दिल के झरोंखों से 

अभी आते हैं यह कह कर गये वो हमें इंतज़ार में यूँ बिठा कर
कि वस्ल-ए-यार के इंतज़ार में हम बैठे रहे सब कुछ गंवा कर 

इक रात की बात है मेरे ख़्वाबों में मिल जाओ न तुम आकर 
मैंने तो ये जिंदगी काटी है इस इंतज़ार में कई रातें जाग कर

हाल-ए-दिल उनको सुनाने की तमन्ना में जागा किये हम रात भर 
उनकी बेखुदी का भी क्या आलम है कि वो मेरे हाल से हैं बेखबर 

आज तुम मेरी चाँद बन जाओ ठहरो आसमां से मैं तुम्हे मांग कर लाता हूँ 
तुम चांदनी में नहाकर आओ फिर मैं सितारों से तुम्हारी मांग सजाता हूँ

उनके रुखसार पर इक मुस्कराहट को जां निसार कर दूं 
वो कहें तो उनकी जिंदगी में अपने प्यार का रंग भर दूं 

इक तेरे होने से मुझे मेरा होना भाता है 
तेरे बिना तो अब जिया ही नहीं जाता है 

आपने हसरतों में अपने हमें अगर थोड़ी सी जगह दी होती 
हमने भी इन हसरतों में अपनी चाहतों से रंग भर दी होती 

कुछ ख्याल दिल से ....


मुझे वो पानी लाकर दो न जिसमे तुमने ये ज़िस्म धोया है 
अब शराब में भी वो नशा नहीं रहा जब से ये नशा हुआ है 

आज की रात शायद बहुत मुश्किलों से गुजरने वाली है 
ना तो तुम हो मेरे पास और ना ही वो लब मतवाली है 

मेरी बाहें तडपती हैं तुम्हे आगोश में लेने को 
कहीं से आकर मिल जाओ न मुझे मेरे हमदम 

तुम्हें यूँ पाकर दिल मदहोश हो गया है मेरा 
जाने किस शराब में नहा कर आई हो तुम 

तुम तो सर से पांव तक पूरी की पूरी कविता हो 
जीवन में रस भरने वाली निर्झर बहती सरिता हो 

तुम्हारा ज़िस्म लगता है जैसे संग-ए-मरमर को तराशा है 
इतने बड़े जहां में जाने कहाँ से तुम्हें मेरी आँखों ने तलाशा है 

रोज़ रोज़ यूँ मिलते मिलते जाने कब प्यार हो गया 
उनकी मुस्कराहट देख यूँ लगा जैसे इकरार हो गया 

नफरत भी मुझको दिलवर अज़ीज़ है तेरी 
कि ख्यालों में तेरे फिर भी तस्वीर है मेरी 

हसरतें उड़ती रहीं मेरी फिजाओं में गम का धुआं बनकर 
तस्सवुर में मेरे जब से आना उन्होंने छोड़ा मुझसे रूठ कर 

मुझे तो इंतज़ार रहता है तेरे दीदार का मेरे यार
इक तेरा दीदार हो जाए तो दिल पा जाए करार

ना जाने कब से तुम मेरे दिल में हो समाये हुए 
और मैं रस्म-ओ-रिवाज़ में हूँ तुमको भुलाए हुए 

तुम्हारी साँसों की रवानी में मैं हूँ 
तुम्हारे इश्क की कहानी में मैं हूँ 
जो मैं नहीं होता तो यह कहानी नहीं होती 
फिर शायद मेरी यह जिंदगानी नहीं होती 

कुछ ख्याल दिल से ....


होश में आओ कि अभी तो मैंने कुछ कहा नहीं है 
तुम्हारी बेखुदी की अब शायद कोई दवा नहीं है

हसरतों में मेरे जब से वो संवर कर आये हैं 
ख़्वाबों में उन्होंने बड़े हसीन मंज़र दिखाए हैं 

तुम कहते हो जब भी कुछ मुझसे यूँ मुस्करा कर 
क्यूँ ठहर जाती है सारी कायनात नज़र लगा कर

तुम्हारी नियति तुम्हें मेरी ओर ही लेकर आएगी 
जिंदगी तुम्हारी मुझसे मिलकर ही जीवन पाएगी 

उनके अदब और लिहाज़ का अंदाज़ भी निराला है 
मोहब्बत को नज़रें झुका कर मुस्कुरा कर टाला है 

जब भी तुम्हारी यादों की पुरवाई बहती आती है 
जाने क्यूँ मन को मेरे अपने संग उड़ा ले जाती है 

हसरतों के आईने में जब भी तेरा अक्श नज़र आया 
जाने क्यूँ आँखों से तेरे तू कोई गैर शख्श नज़र आया 

उनकी एक मुस्कराहट को हम तरस कर रह गए 
पर वो ना तरसे जिनके लिए हम तरस कर रह गए 

वो हाथ पकड़ना मेरा उसका यूँ चांदनी रात में 
इक ताजमहल सा बन गया बस बात ही बात में 

तेरा इंतज़ार कहीं मेरी सज़ा न बन जाये 
तुझसे दूर रहना रब की रज़ा न बन जाये 

बड़ा लुत्फ़ आता है उन्हें हमको यूँ सताने में
वक्त सारा जाया होता है रूठने और मनाने में 
इश्क कहाँ हो पाता फिर उनके इसी बहाने में 
जो वक्त बचा उसमें वो रह जाते हैं शरमाने में 

इत्तेफाकों का ऐसा सिलसिला चला 
कि कई इत्तेफ़ाक हो गए इत्तेफ़ाक से 
हम बिछड़ गए थे कभी इत्तेफ़ाक से 
आज फिर वो मिल गए इत्तेफ़ाक से 

आँखों से वो जो कहते हैं जुबां उनकी नहीं कह पाती 
होठों पर उनकी ये मुस्कराहट आये बगैर नहीं रह पाती 


कुछ ख्याल दिल से ....


कुछ मुझसे हुई नाफरमानियाँ कुछ उनको रहीं बदगुमानियाँ 
हम वफ़ा की कसमें खाते रहे पर वो दे गए हमें ये तन्हाइयाँ

बरबादियों के दौर से निकला जो मैं मुक्कमिल 
हैरत में पड़ गए सब कैसे पाई मैंने यह मंजिल 

मोहब्बत की दुश्वारियों से कब मैंने निज़ात माँगा था 
इन दुश्वारियों को देख कर बस उनका साथ माँगा था 

वो पूछते हैं मेरी खैरियत इतने प्यार से 
बीमारी में भी खैरियत में पाता हूँ खुद को 

मंजिलों पर पहुचने को वैसे तो कई रास्ते थे 
हमने वो रास्ता चुना जो तेरी रहगुज़र में था

आज मुद्दतों के बाद उनका यूँ पास आना 
जैसे बादलों की ओट से चाँद का मुस्कुराना

यूँ शुक्रगुज़ार नही होते कभी भी अपने दिलवर के 
दिलवर तो होते हैं नाज़ उठाने को अपने प्रियवर के 

यूँ गम के अंधेरों में क्यूँ करते हो खुद को मशरूफ़
अभी तो जिंदगी के उजालों से होना है तेरा तार्रुफ़

उनको ये गुमान है कि हम उन पर मरते हैं
गुमान उनका सही है हम कहने से डरते हैं 

मेरी हर ध्वनि 
की प्रतिध्वनि 
बस तेरा नाम 

बड़ा लुत्फ़ आता है उन्हें यूँ हमको सताने में

उनकी यह तोहमत है कि हम मोहब्बत की कद्र नहीं जानते
अब उन्हें क्या बताये कि कद्र से हम मोहब्बत नहीं जानते 

तारीफ़ में उनके जो मैंने कसीदे कढे 
बस उन्हें छोड़ कर उसे औरों ने पढ़े 

उल्फत के ठिकानों पर परवानों ने छापा मारा 
जलकर खाक होने वालों का और कहाँ गुज़ारा 

कौन बताए इन हुस्न वालों को 
यूँ इश्क को जलाना ठीक नहीं 

सताया हो कभी जो आपको खुदा मुझे ना माफ करे 
सजदा किया है उम्र भर कभी तो दिल को साफ़ करें 

कभी जो सताया हो हमने किसी हुस्न वाले को 
खुदा हमें इश्क से महरूम कर दे इसी जुर्म में 

तोहमत लगाने की उनकी ये तो पुरानी आदत है 
उन्हें क्या बताएं ये तो हुस्न वालों की फितरत है 

उनको हम सताए कभी खुदा ऐसी नौबत ना लाये 
उनसे ही तो जिंदगी है वो नहीं तो कैसे जिया जाये 


कुछ ख्याल दिल से ....


तेरा मुजस्सम हुस्न देख कर यूँ लगता है मुझे 
तुझे बनाकर खुदा भी अपना हुनर भूल गया है

तेरा मन 
मेरा दर्पण 
मुझको " मैं " दिखलाये 
मेरे थोड़े से गुण का 
गान मुखर हो तू गाये 
मेरे सारे दुर्गुण अवगुण 
तुने भले लिए छुपाये 
तेरा मन 
मेरा दर्पण 
मुझको " मैं " दिखलाये 
मैं क्यूँ ढूढूँ यहाँ वहाँ 
जब सब तुझमें नज़र आये 

कौन कहता है तस्वीरों की जुबां नहीं होती 
नहीं तो इनसे मोहब्बत यूँ बयां नहीं होती 

तारीफ़ करूँ क्या उस हुस्न की जिस हुस्न पर मैं मरता हूँ 
कहीं वो हुस्न खफा न हो जाये इस बात से बस मैं डरता हूँ 

जब भी हुस्न गुरूर करता है इश्क से 
इश्क सजदे में झुकता है उस हुस्न के 

तेरा इश्क मुझको अक्सर इतना तड़पाता है 
मेरा ये दिल बेचारा तेरे इश्क से घबराता है 

हमने तो तुझे खुदा मान कर तुझसे मोहब्बत की है 
अपने तस्सवुर में भी तुझे पूजा है तेरी इबादत की है 

मेरे हर इंतज़ार का अंत बस तेरा दीदार है 
मेरी मोहब्बत की शरुआत तेरा इकरार है

अपने उन खवाबों में कुछ ख्वाब मेरे भी बुन लेना
अगर मिले कुछ फूल चमन में मेरे लिए चुन लेना

ये नज़र बनी है बस तेरे लिए हमदम 
जिधर भी देखूं तू ही तू नज़र आता है

वो मिलते हैं मुझसे हरदम इक अजनबी की तरह 
पर छुपा रखा है मुझको दिल में करीबी की तरह 

आज उनको देखा जाने कितने दिनों के बाद 
दिल में फिर से अरमानों के बारात निकल पड़े 

कुछ ख्याल दिल से ......


मेरे दिल की बात सुनकर वो अक्सर मुस्कुराते हैं 
जब उनके दिल की पूछो तो वो बखूबी टाल जाते हैं 

जाने वो मोहब्बत के अफसानों से इतना क्यूँ घबराते हैं
जब भी हम मोहब्बत करते हैं वो कुछ सोच कर शरमाते हैं

वो चाहते हैं मोहब्बत में हम बस मुस्कुराते ही रहें 
चाहे अपनी अदाओं से हमें वो हरदम रुलाते ही रहें 

जिस ज़र्रे में वो खुद बसा हो वहाँ अक्श खाक नज़र आएगा 
उसकी रूहों से बहता सैलाब तेरे अश्कों को बहा ले जाएगा 

तुझे खोने का डर तुझे पाने की खुशी को क्यूँ कम कर जाता है 
तू मेरे पास है मगर तेरी जुदाई को सोच दिल क्यूँ डर जाता है 

उल्फत के सलीकों से अब दिल भरने लगा है 
उनकी अदावत से अब ये दिल मरने लगा है 

उनकी मुस्कराहट का हर दिल को इंतज़ार रहता है 
वो मुस्कुराएं तो हर एक दिल को करार मिलता है 

अब ना वो हैं ना उनका ख्याल है बस कुछ बद-गुमानियाँ हैं 
मोहब्बत में यकीं के हद के पार बस मैं हूँ मेरी तनहाईयाँ हैं 

लगता है वो हमसे कुछ खफा खफा से हैं 
आजकल उनके सलीके कुछ बेवफा से हैं 

तस्वीरों से झाँक झाँक कर वो हमें अक्सर तड़पाते हैं 
तनहाई में उनसे मिलने को हम तरस तरस जाते हैं 

यूँ नज़रें चुरा कर हमसे कब तक दूर बैठे रहोगे 
तुमको भी खलती है हमसे दूरी जल्द ही कहोगे 

अपनी इबादत में मैंने तुझे हमेशा अपना खुदा पाया है 
फिर क्यूँ तेरी चाहत से मैंने खुद को हमेशा जुदा पाया है 

इज़हार-ए-इश्क को अगर हमारी रुसवाई का इंतज़ार था 
तो होने देते हमें रुसवा ना कहते हमसे उन्हें प्यार था 

रूहों के इस सफर में तुम जो मिले हमसफर 
देखो कितना हसीं हो गया है ये रूहों का सफर 

जिस दिन से लिख लिया तुम्हारा नाम इस दिल पर 
अपना ये सारा जहाँ कर दिया तेरे नाम मेरे दिलवर 

क्यूँ आफत सी आई उनके इक अंगड़ाई से 
हर किसी ने तौबा कर ली अपनी तन्हाई से 

वो कुछ करें तो आफत कुछ कहें तो क़यामत 
क्या जाने अब ये उनकी अदा है या मोहब्बत 


कुछ ख्याल दिल से ....


ख्वाहिशें इस दिल की जब कहो बताऊँ तुम्हे 
चाहता हूँ चाहत इस दिल की सुनाऊँ तुम्हे 

वो आये बड़े मुद्दत के बाद हमारी किस्मत है 
ना जाने ये कुछ और है या उनसे मोहब्बत है 

मैं धरती हूँ 
तुम चांदनी बन 
मुझपर छा जाओ 

तेरी जुल्फों की छांव में अपनी सारी उम्र गुज़ार दूं 
तू जो बस इनके साये में मेरे दिल को पनाह दे दे 

कभी वक्त मिले तो जिंदगी के सफों को पलटना तुम 
वहाँ बस हमारे मोहब्बत के अफ़साने नज़र आयेंगे 

जब भी तुम मेरे ख्यालों में आकर मुस्कुराती हो 
मेरे मन के सरगम की हर तान छीन ले जाती हो 

मैंने तेरे दिल के दरवाज़े पर दस्तक दी है 
सुनो तो उसको कहना मुझे अंदर आना है 

सुना था मोहब्बत में यकीं के हद के पार तक यकीं होता है 
पर हकीकत में जब देखा तो ऐसा यहाँ कुछ भी नहीं होता है 

वो क्या सच में इतने नादां हैं या नादानी उनकी फितरत है 
मैं कैसे समझ लूं उनके भी दिल में मेरे लिए मोहब्बत है 

तुम चाहो तो ख्यालों से दूर कर सकते हो मुझे 
उस दिल का क्या करोगे जो बस हमसे है रवां 

इस दिल में बस तेरी ही चाहत का खजाना है 
इस दिल ने बस इक तुझे ही अपना माना है 

पलकों से तेरे मैं हर वो ख्वाब को चुन लूं 
उन ख़्वाबों से अपनी जिंदगी को बुन लूं 

खामोशी को यूँ मत जलने दो 
जज़्बात को यूँ ही पिघलने दो 
शब बीत जायेगा कतरा कतरा 
इस दिल को दिया ना बनने दो 

तुम दीपक बनो
मैं बाती बनूँ
तुम संग 
जल जल जीवन जियूँ

उनकी इस मुस्कराहट पर ये दिल कुर्बान कर दूं 
वो कहें तो उनकी आँखों में अपने अरमान भर दूं 

कुछ ख्याल दिल से ....


दिल की लगी आकर ऐसी लगी दिल पर 
ना तो दिल रहा मेरा ना वो रहे दिलवर 

वो यूँ मुस्कुरा कर मेरी जान लिए जाते हैं 
हम उनकी इस अदा पर बस मुस्कुरा कर रह जाते हैं 

तुम जब मुस्कुराती हो गुलशन का हर गुल खिल जाता है 
तेरे आगोश में आकर जन्नत का हर नज़ारा मिल जाता है 

तुमसे दूर होकर हम जिंदगी से दूर हो जायेंगे 
तुम नहीं होगे तो हम रोने को मजबूर हो जायेंगे

सोचा था कभी उनसे मिल कर इस दिल की कहूँगा 
जब उन्हें फुरसत ही नहीं कभी तो क्या खाक कहूँगा 

तोड़ कर व्यूह हर बाधाओं का जो निकल आये 
उससे नियति भी घबराती है कोई पहल से पहले 

मेरी हसरतों से निकल कर वो बड़े खुश नज़र आते हैं 
उनकी इन्हीं अदाओं पर हम आज भी मर मर जाते हैं 

तुम्हारी हर आह मेरे बदन पर शूल बन बन कर गिरती है 
कभी मेरी इन तकलीफों से खुद को वाबस्ता करके देखो

वो किस कदर हैं बेखबर अपने हुस्न से ए खुदा 
उनके हुस्न ने कैसे ढाए हैं कहर कोई उन्हें तो बता 

जिन्हें गिनते रहे तुम वो अश्क नहीं थे तेरी आँखों के 
मैं बूँद बन बन कर बह रहा था यादों की तेरी आँखों से

तम से जीवन के 
जब भी मन घबराया 
दीप जल उठे तेरे नैनों के 
खुशियों का उजियारा छाया 

देख कर उनको मेरे मन में ये ख्याल आया 
उनको बनाकर खुदा अपना हुनर भूल आया 

उनकी इक मुस्कराहट पर अपनी जान निसार दूं 
'गर वो कहें उनके दर पर अपनी जिंदगी गुज़ार दूं 

दिल में जैसे धड़कन होता है 
मेरे दिल में वैसे तुम होती हो 

इंतज़ार करता हूँ उस दिलबर का 
जिसे खबर नहीं मेरी मोहब्बत का

देखता हूँ जब भी तुम्हें इन तस्वीरों में यूँ मुस्कुराते हुए 
बस देखता ही रह जाता हूँ तुम्हें सब से नज़रें चुराते हुए 

कुछ ख्याल दिल से .....


सुबह से शाम हुई ये जिंदगी तमाम हुई 
पर वो ना आये जिंदगी जिनके नाम हुई 

लरज़ते लबों से अपने जब मेरा नाम लिया उन्होंने 
मेरी सांस औ' धडकनों को जैसे थाम लिया उन्होंने 

भूली यादों को यूँ दिल में मत सुलगने दो 
कहीं आंच से उसकी तुम पिघल ना जाओ 

तू यूँ ही मेरी जिंदगी संवारती रहे 
मैं यूँ ही अपनी जिंदगी जीता रहूँ

यूँ मुस्कुरा कर दिल ना मेरा चुराया करो 
जो दिल में है बात खुल कर बताया करो

हसरतें इस दिल में और भी थीं मोहब्बत के सिवा 
उनको देखा तो सुझा नहीं कुछ मोहब्बत के सिवा 

उनकी फितरत ना बदल सका मैं अपनी मोहब्बत से 
सोचता हूँ  बदल दूं उनको कभी मैं अपनी अदावत से 

तेरी पाकीज़गी को मैं दिल से सलाम करता हूँ 
तेरी हर बात का मैं दिल से एहतेराम करता हूँ
ख्वाहिश है कि तेरे नूर से रोशन रहे मेरा जहाँ 
तेरी सादगी पर मैं दिल अपना कुर्बान करता हूँ

क्यूँ ऐसे देखते हो तुम मुझे तिरछी निगाहों से 
कुछ कुछ होने लगता है तुम्हारी इन अदाओं से

उनसे नज़र मिलते ही दिल मचलने लगता है 
जुबां की कौन कहे सब्र फिसलने लगता है 

मत सहेजो आज तुम कुछ भी 
मिलन की बेला कहीं रीत ना जाये  
मेरे अंक पाश में बस आ जाओ तुम  
मधुमास की रुत कहीं बीत ना जाये