Saturday 8 September 2012

मैं तुमसे प्यार करता हूँ

तुमने कहा था

मुझसे बातें करना तुम्हें अच्छा लगता है

मेरी मुस्कराहट तुम्हें भाती है

मैंने समझा

शायद

ऐसा कहना तुम्हें अच्छा लगता है

मेरा साथ तुम्हें लुभाती है

मुझे इस बात का ज़रा सा भी

आभास नहीं हुआ कभी

तुम्हारी मुस्कुराहटों से मोहब्बत का

अहसास नहीं हुआ कभी

आज तुम्हारा यह प्रेम निवेदन पढ़ कर

ना जाने कितना हैरां हूँ मैं खुद पर

क्यूँ मैं तुम्हारे अहसासों से अनजान रहा

क्यूँ मोहब्बत के रवायतों से नादान रहा

क्यूँ मैं तुम्हारे रूठने का सबब समझ न सका

क्यूँ तुम्हारा यूँ तड़पना मुझे दिख न सका

क्यूँ मैं तुम्हारे जज्बातों की कदर ना कर पाया

क्यूँ मैं तुम्हारे अरमानों में रंग ना भर पाया

प्रिये! आज मैं

ये स्वीकार करता हूँ

अपने दिल-ओ-जान से मैं भी

तुम्हें उतना ही प्यार करता हूँ

तुम्हारे अहसासों को

तुम्हारे जज्बातों को

मैं अपने सर माथे पर रखता हूँ

तुम्हारे सारे दर्द सारे गम

मैं अपने हवाले करता हूँ

मेरी सारी खुशियाँ लेकर तुम

अब सदा यूँ ही मुस्कुराती रहना

ख़्वाबों में मेरे रोज़ आ आकर

उनमें इन्द्रधनुषी रंग भरते रहना
















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