Wednesday 26 September 2012

समय

इस एक घड़ी से

समय कैसे बदल जाता है

देखते ही देखते

आज कल बन जाता है

बस काँटों की टिक टिक से

वर्तमान भूत बन जाता है

जो अब है

वो कल में चला जाता है

भविष्य कौन देख पाता है

हर आने वाला पल

अब बन जाता है

समय यूँ ही

ससरता रहता है

सदियाँ बीत जाती हैं

भविष्य वर्तमान

और वर्तमान भूत

बनता रहता है 

No comments:

Post a Comment