जाने कहाँ गए वो दिन
मेरी कविताओं का संग्रह ©
Wednesday, 26 September 2012
तुमने कहा था
तुमने कहा था ---
मेरा आना ....
जैसे सुबह की ठंढी हवा का झोंका
मैं जानता हूँ ...
मुझे पता है ....
तभी सुबह का पहला झोंका बन कर ...
दरवाज़े पर तुम्हारे दस्तक देता हूँ
कहीं ताप न बढ़ जाए उम्मीदों की
इसलिए आता जाता रहता हूँ ....
1 comment:
Unknown
29 September 2012 at 19:18
यूँही आते जाते रहिये .....::)
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यूँही आते जाते रहिये .....::)
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