Friday 21 September 2012

रिश्तों के समीकरण

रिश्तों के समीकरण

क्यूँ और कैसे बदल जाते हैं 

कुछ समझ नहीं आता है 

जिन प्रतिक्रियाओं से पहले 

मीठी खुशबू के साथ 

प्यार के बुलबुले निकलते थे 

शायद क्षार से क्षार मिलकर 

मिठास पैदा करते थे 

उन्हीं प्रतिक्रियाओं में अब  

दम घुटने वाले धुएं के संग 

तकरार के जलजले उबलते हैं 

शायद 

किसी प्यार की क्षार की जगह 

अपेक्षाओं के 

अम्ल ने ले ली है 

तभी क्षार और अम्ल 

आपस में मिलकर 

नफरत का लवण बनाते हैं 

और यही लवण मन के 

ज़ख्मों पर फ़ैल कर 

जलन की अगन लगाते हैं 

धैर्य का क्षार 

इस प्रतिक्रिया को 

जितना भी निर्मल करे 

अपेक्षाओं के अम्ल की सांद्रता 

बढ़ बढ़ कर 

उसे निष्क्रिय करती जाती है 

फिर जाने क्यूँ हम

प्यार के क्षार की जगह 

अपेक्षाओं के अम्ल को 

इस प्रतिक्रिया में ले आते हैं 

मीठी मीठी खुशबु को छोड़ 

दम घुटने वाला धुआं फैलाते हैं 


(क्षार - Alkali; अम्ल - Acid; लवण - Salt; सांद्रता - Concentration)











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