निकल पड़ा हूँ उस सफ़र पर मैं
जिसमें मंजिलों के सिलसिले हैं
मंजिलों के संग उस सफ़र में
मुझे हर मोड़ पर आपसे हौसले मिले हैं
बरबस आँखें उठती हैं उसकी तरफ
कहीं उसने तो कुछ कहा नहीं ......
अब दिल कहीं और लगता नहीं
कि अब ये दिल मेरा रहा नहीं .....
तुम हो नाज़
अदा हो तुम
तुम हो प्यार
खुदा हो तुम
हर दिल में आज बस यही तमन्ना है
बस इस धरती को ज़न्नत बनाना है
दिल के अरमानों ने आज नयी करवट बदली है
फिजाओं की रंगत बदलने को हसरत मचली है
जाने क्यूँ चाहतों से नफरत सी हो गई है इस दिल को
ना जाने किस अनजाने से गम ने घेरा है इस दिल को
वो पूछते हैं मेरा हाल मुझे बेहाल कर के
अच्छा होता जी लेते हम यूँ ही मर मर के
वो रहते हैं मेरे दिल में और पूछते हैं अपना पता
अब कैसे कहूँ उनको मोहब्बत में होती है यह खता
कुछ उनकी बात कुछ मेरे जज़्बात
मिल कर क्यूँ सतरंगी हो जाते हैं
जाने कब रुखसत हुए थे वो हमारी यादों से
कल दिल को टटोला तो वो दिखे मुझे वहीँ
हरकतों से अपने जुल्फों की इन्होंने अक्सर ही मुझे आज़माया है
मैं समझता रहा घटा छाई है पर ये तो इनकी जुल्फों का साया है
इस दिल में अब कोई गम न होगा
मेरा महबूब जो मेरी बाहों में होगा
दिल की दुश्वारियों के किस्से हैं हज़ार
अब किसको सुनाएँ हम इसे बार बार
चाहत को तुम इतना मत बढ़ने दो कि वो जीना मुश्किल कर दे
चाहतें कम नहीं होती कभी चाहे कोई कितना भी हासिल कर ले
चाहत में कभी किसी की सब कुछ लूटा कर देखो
कैसे मिलती हैं खुशियाँ सब कुछ गंवा कर देखो
तेरी चाहत मेरे दिल में इस कदर भरी है
खुदा भी नहीं जान पाया किस कदर भरी है
गुज़ारी है हमने भी इस इश्क में कई रातें यूँ ही जाग कर
देख कर तस्वीर-ए-यार आईने से इन आँखों में झांक कर
जाने इक तेरे होने से क्यूँ सब मेरा हो जाता है
जब कभी तुझे देखता हूँ दिल कहीं खो जाता है
उलझनों में अपनी जिंदगी के ऐसे उलझे रहे हम
सामने से निकल गई रुत प्यार की देखते रहे हम
पीकर मय तेरी आँखों से मैं झूमा यूँ मतवाला सा
तेरी आँखों के मय से क्यूँ आया नशा मधुशाला सा
तस्वीर लिए उनकी दिल में मैं भटकता हूँ उस रहगुज़र में
गुज़रे थे जहां हम साथ साथ कभी जिस प्यार की डगर में
तजुरबा नहीं था हमें कभी इस गम-ए-इश्क का यारों
जब उनकी याद आई तन्हाई में यूँ ही आंसू बहते रहे
क्यूँ ऐसे नशा आता है जब भी वो गुजरते हैं पास से
मुझे तो शराब भी कम लगती है उनके अहसास से
इक तेरे आने से क्यूँ बदली बदली सी लगती है ये जिंदगी
पहले भी साँसें थी धड़कन थी पर क्यूँ नहीं थी ये जिंदगी
तुम नहीं थी तब भी जिया करता था मैं यह जिंदगी
पर तुम्हारे बिना उस जिंदगी में कभी जान नहीं थी
चलो हम प्यार मोहब्बत का कोई नया तरीका बनाएँ
मिले जो यार कोई तो उसे प्यार का सलीका सिखाएं
चलो अब हम प्यार का कोई नया सलीका बनाएँ
मिले जो यार कोई तो उसे प्यार के काबिल बनाएँ
उनकी सरगोशियों ने मेरी उदास खामोशियों को बसाया है
ज़हन में बस उनकी यादें हैं और उनकी यादों का साया है
हर उस उदास लम्हें का तुम्हें हिसाब देना होगा मुझे
जिनमें तुम्हारी यादों ने मेरी तन्हाईयों को रुलाया है
जाने क्यूँ अलसाई हुई आँखें बंद होना चाहती हैं नींद से
जबकि इन आँखों में तो हमने आपके ख्वाब सजाए थे
लफ़्ज़ों से भी अपने उन्होंने खूब की है कारीगरी
जान-ए-जां कह कह कर दिल लगाया और कहीं
दुआएं हम हर सांस मांगते हैं तेरे लिए उस खुदा से
तू खुश रहे तेरी खुशियों से भरी हो जिंदगी खुदा करे
तेरी तकदीर का तो तू ही विधाता है ..
क्यूंकि वही होता है जो तू चाहता है ....
बहुत फुरसत में होंगे वो जब उन्हें मेरी याद आई होगी
महफ़िल उठ चुकी होगी उनकी पास सिर्फ तनहाई होगी
इकरार तो उन्होंने कभी भी किया नहीं मोहब्बत का
जब भी हमसे मिले बस मुस्कुरा दिए यूँ नज़रें झुका
अब भी मुझ पर मरते हैं वो
जाने क्यूँ कहने से डरते हैं वो
वो इश्क हम हीं से करते हैं
जाने क्यूँ कहने से डरते हैं
आंसुओं के सैलाब में ये ख्वाब बह ना जाएँ कहीं
इस सैलाब के डर से ये ख्वाब थम ना जाएँ कहीं
हमसे नज़र न फेर ए ज़ालिम
जीना हमें तुने ही सिखाया है
उनकी मुस्कराहट पर सब क्यूँ मरते हैं
अब जाना हमने कहने से सब क्यूँ डरते हैं
वो अजनबी शायद जाना पहचाना था
मेरे दिल में उसका आना जाना था
रास्ते तो बहुत थे वैसे खुदा को पाने के लिये
मोहब्बत को चुना मैंने उसको पाने के लिये
दुश्वारियां जिंदगी में पहले यूँ ही कम न थीं
दिल लगा कर मुश्किलें हमने अपनी बढ़ा लीं
इस दिल को तबाह कर के वो आबाद हो गये
पर उनकी इस दिल्लगी से हम बरबाद हो गये
राह-ए-वफ़ा में मुझको ये दुश्वारियां भी है मंज़ूर
रहें खफा वो मुझसे मगर न रहें इस दिल से दूर
हम उनसे वफ़ा की उम्मीद करते हैं
जिनको ज़फा ही
लुत्फ़ उनको बहुत आता है हमको यूँ हर वक्त सताने में
मज़ा हम भी कम नहीं लेते अपनी नाराज़गी जताने में
वो हमसे कहते हैं तुम रुसवा न करो हमको यूँ प्यार में
रुसवा उनको हम क्यूँ करें 'गर वो कहें कुछ इकरार में
कहाँ है वो शहर तन्हाईओं का ज़रा हमें भी उसका पता देना
जब गमज़दा होंगे कभी इस प्यार में हमें भी वहीँ बसा लेना
हमारी वफ़ा में 'गर कोई कमी नज़र आई तुझे
तो हमें यूँ तनहा न कर बस हमें वफ़ा सिखा दे
हमसफ़र की तलाश में हम भटक रहें हैं दर-ब-दर
कोई बता देता किस राह पर होगी उसकी रहगुज़र
हमसफ़र की तलाश में हम भटक रहें हैं दर-ब-दर
कहाँ जाऊं कहाँ ढूंढूं जाने कहाँ होगी उसकी रहगुज़र
रहमत मुझ पर तू बस इतना करना ए मेरे मौला
प्यार दे सकूं सबको मुझसे दिल न दुखे किसी का
इंतज़ार में ना जाने क्यूँ इतना लुत्फ़ उठाते हैं लोग
इंतज़ार में उनके ख्यालों से जो मिल आते हैं लोग
इंतज़ार में ना जाने क्यूँ इतना लुत्फ़ उठाते हैं लोग
इंतज़ार में उन से ख्यालों में जो मिल आते हैं लोग
इंतज़ार में ना जाने क्यूँ इतना लुत्फ़ उठाते हैं लोग
शायद ख्यालों में उन से मिलने आते हैं लोग
इश्क में मेरे महबूब के हज़ारों अफ़साने बने
वो हसीं हैं इतने कि उनके हज़ारों दीवाने बने
अब उनसे कैसे कहें हम अपने दिल का हाल
वही तो हैं जिन्होंने किया इस दिल को बेहाल
तुमसे दूर होकर ज़िन्दगी क्यूँ उदास हो जाती है
जब तुम पास होती हो तो क्यूँ उजास हो जाती है
कितना हसीं है ये रूहों का सफ़र
कि तेरी रूह है अब मेरी हमसफ़र
अब तो यूँ न हो कि तेरी पहचान तेरी तस्वीर से हो
कभी जो हो मिलना तेरी पहचान तेरी तस्वीर से हो
वो चिराग जलाये बैठे हैं उन राहों में
जिन राहों में हमारी रहगुज़र नहीं
बहुत तक्कल्लुफ़ करता है मेरा यार मुझसे मिलने में
ना जाने कौन सी आफत आती है यूँ मुझसे मिलने में
अब तो यूँ न हो कि तेरी पहचान तेरी तस्वीर से हो
तू जो कभी मिले कहीं यूँ लगे तू तेरी तस्वीर में हो
इंतज़ार में उनके यूँ ही बीत जाये न ये ज़िन्दगी
एक बार जो जाए तो लौट कर न आए ये ज़िन्दगी
शिकायत नहीं की मैंने उनके चाहत की इस ज़माने से कभी
वो चाहें या ना चाहें मगर पीछे नहीं हटे हम निभाने से कभी
वो वफ़ा की क़दर क्या जाने जिन्हें नहीं है वफ़ा का पाश
चंद मुस्कराहटों और कुछ मीठी बातों से वफ़ा होती काश
तन्हाई क्यूँ आई तुम क्यूँ नहीं आये
जो तुम आये फिर तन्हाई क्यूँ आई
कोई मेरी तरह यूँ जला करे ये मुझे कतई मंज़ूर नहीं
वो चिराग हो या फिर दिल किसी का मुझे मंज़ूर नहीं
कभी हक़ से उन्हें हम अपना कहा करते थे
अब वही हक़ से हमें गैरों में गिना करते हैं
वो अक्सर गुज़रते रहे मेरी यादों की गलियों से
जाकर भी आते रहे वो इन यादों की गलियों से
उनकी मशरूफियत ने अक्सर मुझे परेशान किया है
मेरी फुरसत का उन्होंने हरदम यूँ नुकसान किया है
चलो हम प्यार का कोई इक नया तरीका बनाएँ
दुश्मन को अपने हम प्यार का सलीका सिखाएं
तेरा इंतज़ार करना भी इस दिल को जाने कितना भाता है
उस इंतज़ार में भी मिलने का लुत्फ़ इस दिल को आता है
दिल की बेक़रारियों का मुझसे कभी तुम हिसाब मत माँगना
उन लम्हों को अगर मैंने गिन लिया भूल जाओगे तुम जीना
पलक झपकते कैसे यूँ तुम आँखों से ओझल हो जाते हो
तुम्हें खो न दूं इस डर से पलकें मूंदना न भूल जाऊं कहीं
तुम नहीं हो तो तुम्हारी यादों को संजो रहा हूँ
तुम्हारी यादों से पलकों के कोने भिंगो रहा हूँ
वो जगह ही नहीं इस ज़मीं पर कहीं
जहां मैं रहूँ तू नहीं तेरा ख्याल नहीं
मैं चलता हूँ जिस किसी भी राह पर
तू ख्याल बन कर होता है हमसफ़र
ढूँढा किये तुझे दर-ब-दर
जैसे रूह ढूंढें कोई मर कर
नफरतों के दौर में मैं टूटा हूँ इस क़दर
न जी सका हंस कर न मर सका रो कर
हम करते हैं इंतज़ार उनका यूँ पलकें बिछाए
वो आयें तो फिर हम भी अपनी पलकें उठायें
कैसे कहें अब हम उनको हम उनकी हिदायत पर जीते हैं
करने को हैं कई काम मगर हम उनकी नज़र को तकते हैं
दिल के तड़पने का सबब नहीं पूछा मैंने कभी
जब भी तड़पा बस यूँ ही तड़पने दिया बेसबब
मुन्तज़िर हूँ हर घड़ी इकरार-ए-यार का
कोई तो रास्ता बता दो दीदार-ए-यार का
उनसे बातें करना इस दिल को क्यूँ भाता है
शायद सदियों से इस दिल का उनसे नाता है
तुम याद बहुत आते हो हर घड़ी हर पल
बस याद नहीं आते जी कर देते हो बेकल
नेमत में नहीं अपने उसने कभी किसी को कमतर छोड़ा
बदकिस्मत है वो जिसने हीरे को पत्थर समझ कर छोड़ा
कोई यूँ ही बेसबब नहीं भाता है दिल को
सदियों का नाता ही पास लाता है दिल को
तुम्हारी ख़ामोशी जाने क्यूँ दिल को बहुत खलती है
तुम्हारी ख़ामोशी से जाने दिल में आग सी जलती है
हुस्न की कदर जो नहीं करते हैं इश्क वाले
इश्क से महरूम कर देते हैं उन्हें हुस्न वाले
क़रार तुझसे मिलते ही क्यूँ हो जाता है बेक़रार
इस से बेहतर है तू न मिले और रहूँ मैं बेक़रार
वो रहते हैं दिल में मेरे और पूछते हैं अपना पता
कैसे बताऊँ उनको इश्क में अच्छी नहीं यह खता
तन्हाईयों में अक्सर अपने मैंने इक आवाज़ सुनी है
जाने खामोशी कुछ कहती है या फिर आवाज़ सूनी है
तुम्हारी आँखों से ही पूछ कर मैंने तुमसे मोहब्बत की है
जब भी ढूँढा है उनमें मैंने मुझे मोहब्बत ही दिखाई दी है
हिज़्र के दौर से निकले हम वस्ल की तलाश में
न यार मिला न प्यार बस तन्हाई रही पास में
इश्क़ की कहानी में क्यूँ दर्द हमेशा ही रहता है
इश्क के साथ दर्द का क्या जन्मों का रिश्ता है
गम के दर्द से चूर हमने होकर मजबूर
कर लिया फैसला हो जाने का उनसे दूर
मोहब्बत के किसी रंग से हम रु-ब-रु नहीं हुए ज़िन्दगी में
जो रंग तुमने भरा है हम लुट गए हैं बस उसी की बंदगी में
इश्क ने अक्सर मुझको हैरान किया है
मोहब्बत की अदाओं ने परेशान किया है
इस इश्क ने अक्सर मुझको हैरान किया है
कहीं ये हैरानगी भी वही इश्क तो नहीं न ?
इस इश्क ने मुझको अक्सर हैरान किया है
मेरे सुकून-ए-दिल को यूँ ही परेशान किया है
हर ज़मीं से मेरे क़दमों के निशाँ मिटा देना
समझ लूँगा मैं तुमसे कभी मिला ही नहीं
बेक़रारियों से तो हमने कभी गिला किया ही नहीं
जब भी करार मिला तुम बेक़रार कर गए दिल को
हमसफ़र बन सको तो रूह भी हासिल करा दूं तुम्हें अपनी
इस ज़िन्दगी का क्या है आज है तो कल पता नहीं हो न हो
हर महफ़िल रोशन हैं उनकी बदौलत
नहीं तो कहाँ इश्क कौन सी मोहब्बत
इबादत में हमने उनकी हमेशा अपना सर झुकाया है
लोग कहते हैं ये मोहब्बत है ना जाने क्या खुदाया है
हर महफ़िल में हर तन्हाई में दीदार में जुदाई में
बस इक तुम हो तुम हो तुम हो हाँ बस तुम हो
हर वो लफ्ज़ जिस से मैंने तुम्हारा नाम लिखा था ...
सबने कहा मैंने मोहब्बत का कोई पैगाम लिखा था
क्यूँ गीले अहसासों को मैं दिल पर कोई निशाँ छोड़ने दूं
क्यूँ गम को तेरी जुदाई के अपने इस दिल को तोड़ने दूं
उनसे उल्फत की तमन्ना की थी हमने
जिनका उल्फत से कोई वास्ता ही नहीं
इक दोस्त तेरे जैसा हो फिर क्या बात है
वीरान को भी हम बसा दें जो तेरा साथ है
आओ तुम्हें वो मुकाम दूं कि तुमको यूँ थकान न हो
और ऐसा कभी न हो कि तेरे चेहरे पर मुस्कान न हो
काश मेरे हर इंतज़ार का अंजाम तेरा दीदार हो
ताउम्र इंतज़ार कर लूं जो इनाम तेरा दीदार हो
ये कहने की बातें हैं तेरी बस और कुछ नहीं
इंतज़ार में ही वक़्त कटता है और कुछ नहीं
बहानों की तो हम जानते ही नहीं
इस दिल की तो हम मानते ही नहीं
हर पल तेरे इंतज़ार में क्यूँ नज़रें बिछाए रहते हैं हम
सब पूछते हैं सबब इसका पर कुछ नहीं कहते हैं हम
दिल तो कहते हैं पागल होता है
दुःख में हँसता खुशियों में रोता है
अब दिल है आपका मर्जी है आपकी
पर अदाएं दिल भी जानता है आपकी
सोचा था वो फुरसत में होंगे तो उनसे दो बातें करूंगा
कुछ अपनी कहूँगा कुछ उनकी सुनूंगा मुलाकातें करूंगा
उनसे मिलने की हसरत लिए फिरते हैं हम उनकी गलियों में
और इक वो हैं जो बैठे हैं अनजाने से ना जाने किन गलियों में
तेरी खूबसूरती हुस्न की हर इक तारीफ़ के क़ाबिल है
कहीं ऐसा हुस्न नहीं देखा जो मेरे यार के मुक़ाबिल है
इबादत हुस्न की करने को ख़ुदा ने इश्क बनाया है
तभी सज़दे में अपने यार के हमने सर झुकाया है
नज़र हमसे मिलते ही मेरा यार क्यूँ शरमा जाता है
हमारी नज़र में जाने उसे क्या क्या नज़र आता है
एहतराम हम उनका करते हैं अपने जी जान से
वो पलट कर देखते भी नहीं हमें कभी आन से
ज़िन्दगी की बेवफाई कभी किसी की समझ में न आई
मौत तो नियत थी आनी ही थी पर इस तरह क्यूँ आई
कुछ यूँ उनसे अपना मिलना हुआ ज़िन्दगी के इस हयात में
दिल उनका होकर रह गया इस इत्तेफाकन हुई मुलाकात में
हम नहीं ये ज़माना कहता है
सच्चे दोस्त में खुदा रहता है
आ कि भोर की किरणें तेरे चेहरे को छु कर चमकना चाहती हैं
तेरे साये में पल कर रहती दुनिया तक यूँ ही दमकना चाहती हैं
बयार जब भी उनको छूकर गुज़रती है
जाने क्यूँ दिल पर कुछ कर गुज़रती है
अब क्या मिसाल दूं मैं तुम्हारे इन रुखसारों का
हैरान हूँ मैं क्या इंसान भी होते हैं अपसराओं से
तडपते दिल को मेरे शायद करार आ जाता
जो तुम आ जाते तुम्हारा ख्याल आ जाता
रंज इस जिंदगी से बस इतनी सी है सनम
मिलना था तुमसे तो क्यूँ भटकते रहे हम
बदगुमानियों में ही अपने वो खुद को उलझाते रहे
जिंदगी नहीं इतनी आसां हम उनको समझाते रहे
वो जब भी मुझसे यूँ नज़रें चुराते हैं
मैंने देखा है वो छुपकर मुस्कुराते हैं
सुबह का सूरज
तुझे देख कर उगता है
तेरी अदाओं से
ये दिन यूँ ही ढलता है
तेरी अंगड़ाई क्या आई
संग अपने शाम ले आई
तेरी जुल्फों के घनेरे में
यूँ लगता है जैसे हो
रातों के अँधेरे में
गुज़रता नहीं है ये वक्त तुमसे मिले बिना
कैसे चला जाऊं यहाँ से तुमसे मिले बिना
उनसे मिलने की तमन्ना लिए हम फिरते हैं दर-ब-दर
इक वो हैं कि कभी हम पर डालते भी नहीं अपनी नज़र
हमेशा उम्मीदों से ज्यादा दिया है उस खुदा ने मुझे
मैंने प्यार माँगा था उससे देखो उसने सौंपा है तुम्हे
बड़ी मिन्नतों के बाद मेरे खुदा ने इस दिल की आवाज़ सुनी
इबादत जिसकी करता था रात दिन नेमत में वो आज मिली
हरकतों से वो अपनी आज भी बाज नहीं आते हैं
जितना भूलना चाहे हम वो उतने ही याद आते हैं
उनसे मिले जैसे इक युग बीत गया
यूँ दूर होकर जाने क्यूँ मन रीत गया
तेरे पहलु में जो गुज़ारी थी हमने ये जिंदगी
उसे आरज़ू बनाकर जीता हूँ अब ये जिंदगी
वो किस क़दर बेपरवाह हैं मेरे अहसासों से ....
कि मुझमें होकर भी अजनबी से हैं मेरी साँसों से
वो चाह कर भी खुद को बदनाम नहीं कर सकते
उनके नाम से जाने कितनी नेक नामियत जुडी है
चल पड़े हैं हम सफर में अनजाने मुसाफिर की मानिंद
हमसफ़र तुम जो बन जाओ यह सफर आसान हो जाये
कभी दिल से नहीं पूछा मैंने उसकी उदासी का सबब
अब उस से क्या पूछूं उस दिल में उनका आशियाँ था
हकीक़त इतनी खूबसूरत है फिर मैं ख्वाब क्यूँ चुनूं
हकीक़त जब कभी गुज़र जाये फिर ख्वाब कोई बुनूं
उन्हें ये गंवारा नहीं है कि कोई उनकी यूँ तारीफ़ करे
तारीफ़ से उनके गालों की सुर्खी तपने जो लगती है .......
हकीक़त की खूबसूरती क्या बयां कर दी हमने
वो ख़्वाबों से निकल कर हकीक़त में आ गए
मुद्दतों से आरज़ू रही उनके करीब आने की
नजदीकियां जब भी आयीं फासले बन गए
मुकद्दर में किसके क्या है ये रब जानता है
उस से कुछ नहीं छुपा है वो सब जानता है
ये ख्वाब भी अब अपने दायरे बढ़ाने लगे हैं
हक़ीक़त में वो जब मेरे करीब आने लगे हैं
जब लिखने की बारी आई तो शरमा के चल दिए
जब कुछ न लिखा तो फिर जग से शिकवा किये
जब भी चाहा कुछ लिखूं उनके हुस्न पर
उस हुस्न ने गिरफ्तार किया मेरी नज़र
वो कहते हैं मुझ पर कुछ लिखते नहीं क्यूँ
मैं कहता हूँ नज़र हटे आप से तो कुछ लिखूं
तुझसे शरमा चाँद जाने कहाँ गया खो
चांदनी तड़प रही उसके पास जाने को
कैसी बेक़रारी थी तुझसे मिलने की क्या बताऊँ
क़दम मेरे कहीं और जा रहे थे और मैं तेरी ओर
वो रूठे हैं हमसे जाने किसी और की खता के लिए
हमने तो झुकाया है सर अपनी इस खता के लिए
उनके रूठने की अदा भी कितनी दिलकश है
कोई खता करे वो यूँ ही रूठें मैं उन्हें मनाऊं
इस बेक़रारी का सबब जाने तुम्हें क्यूँ बताया
तुमने हंसी हंसी में मेरा सब्र-ओ-चैन चुराया
मैं यह नहीं कहता कि तुझसे कोई गुस्ताखी हुयी है
बस इस दिल को तेरी बातों ने ज़रा गहराई से छुई है
दिल को उनके तो हम यूँ भी समझा लेंगे
'गर वो रूठे कभी तो हम उनेहं मना लेंगे
आज मिजाज़ कुछ शायराना हो रहा है
हर दरिया आज मयखाना हो रहा है
नशे के लिए जाने क्यूँ लोग मय को चूमते हैं
हम तो उनकी आँखों से पीकर यूँ ही झूमते हैं
मुझे मालूम न था इस तरह जानों के जाने का सबब
अबकी जब आना हुआ तो याद रखूंगा मैं ये बातें सब
कोशिश तो हमने की थी
कि यूँ इंतज़ार की घड़ियाँ न हों
हमारे बीच
पर शायद खुदा को ये गंवारा न था
उसने कर दी कर दी
सदियां हमारे बीच
उसी उम्मीद पर तो अब ये ज़िन्दगी बितानी है
इस ज़िन्दगी का क्या है ये तो बस आनी जानी है
कोई तो जगह होगी ऐसी जहाँ एहसास मिलते होंगे
जहाँ पर दो दिलों में खिले हुए ज़ज्बात मिलते होंगे
हमें इंसानों की तलाश ही कब थी
हम तो रूह की तलाश में भटकते हैं
हमने तो अपनी रूहानी ख्वाहिशें बताई हैं ..
जागकर किसे कब कहाँ कुछ हासिल हुआ है
उन्हें क्या मालूम उनकी चाहत में है कितना जोर
कि दिल मेरा खिंचा जाता है बेसबब उनकी ओर
सफ़र कैसा है यह
जिसमें न मंजिलों की जुस्तजू है
न हमसफ़र की चाह
बस यूँ ही चले जा रहे हैं
जैसे अंतहीन हो राह
हसरतें और भी थीं ज़िन्दगी में मोहब्बत के सिवा
सब कुछ पाया ज़िन्दगी में इस मोहब्बत के सिवा
हो सके तो मेरी उड़ानों को तुम अपना आसमान देना
यूँ ही उड़ते उड़ते कभी तुम्हें पा सकूं मुझे हौसला देना
रास्ते भी थक गए हैं इन क़दमों का बोझ ढोते ढोते
अब बस इंतज़ार है जाने कब यह सफ़र तमाम हो
आओ आज कुछ उमंगों की बात करते हैं
दिल में उठने वाले तरंगों की बात करते हैं
हर चेहरे पर मुस्कान लाये वो बात करते हैं
जो ग़मों से दूर ले जाए कुछ ऐसी बात करते हैं
उलझनें ज़िन्दगी की 'गर न होतीं इस ज़िन्दगी में
फिर लुत्फ़ भला क्या आता यूँ ज़िन्दगी को जीने में
हवा आज क्यूँ भीनी भीनी सी महक रही
उनके यादों का झोंका तो नहीं आया कहीं
यहाँ हर गुलिस्तां गुलों से उस खुदा ने बनाया है
पर मैंने तेरी यादों से अपना गुलिस्तां सजाया है
कश्तियों को साहिल से टकरा कर टूटते हुए देखा है
तूफानों को तो हम खामख्वाह ही बदनाम करते हैं
कश्तियों को साहिल से टकरा कर टूटते हुए देखा है
तूफानों को तो हम खामख्वाह ही बदनाम करते हैं
हम थक कर यूँ उनकी महफ़िल में इसलिए जाते हैं
उनकी महफ़िल में आकर हम सब कुछ भूल जाते हैं
हाशिये पर जी रहा था मैं तुम सफे पर लेकर आये
गुमनामियों के अँधेरे में तुम रौशनी बनकर आये
उनके ख़्वाबों से हक़ीक़त में आने की जो ख्वाहिश की थी
उसे हक़ीक़त में आने से पहले मेरे ख़्वाबों को तोड़ दिया
अब तो बस इक अपने साए से ही उम्मीद है साथ चलने की
सफ़र की दुश्वारियों ने एक एक कर सारे हमसफ़र चुरा लिए
इश्क से परहेज है हमें ऐसा नहीं कहा हमने कभी
बस इश्क की दुश्वारियों से मेरा ये दिल घबराता है
इश्क की दुश्वारियों का ज़िक्र सुन जाने क्यूँ वो सम्हल गए
खो ना दें कहीं इश्क हमारा यही सोचकर शायद वो बदल गए
मुझ में है तू यूँ समाया हुआ ...
कि मेरे हर ज़र्रे में तू नज़र आया
मैं हूँ क्यूंकि तू है तू नहीं तो मैं नहीं
मुझे बस यही इक सच नज़र आया
कुछ पाने की चाहत में जाने क्या कुछ खो देते हैं हम
होश तब आती है हमें जब अपना कुछ खो देते हैं हम
काश कि मैं अपनी तमन्नाओं की तस्वीर बना पाता
उस तस्वीर के हर ज़र्रे में तुझे तेरी सूरत दिखा पाता
तेरी एक झलक पाने की मैंने आरज़ू की थी
उस खुदा की सूरत देखने की जुस्तज़ू की थी
उस खुदा की सूरत देखने की जुस्तज़ू में
तेरी एक झलक पाने की आरज़ू की थी ...
इन हसरतों के दायरे जाने क्यों सिमटने लगे हैं..
हमारी यादों से भी उनके निशाँ अब मिटने लगे हैं
वो मिटा सकें हमें अपनी यादों से कभी
ऐसा कभी मुमकिन न करना मेरे खुदा
मेरी यादों से उनके निशान मिटने से पहले
उनकी दीदार की हसरत लिए फिरता हूँ
रौशनी आफताब की रौशन तुझी से है
चाँदनी माहताब की चाँद सी तुझी से है
उन्हें यह अहसास नहीं कि उनके हर इक लफ्ज़ के मुन्तजिर हैं हम
इक बार अपनी जुबान से वो खुदा को ही याद कर लेते हमारी खातिर
उल्फत में अक्सर खुबसूरत हादसे होते रहते हैं
हुस्न के हाथों इश्क जाने क्या क्या खोते रहते हैं
वस्ल-ए-यार को निकले थे हम कूचे से बड़े अरमानों से
वो गुज़र गए बगल से फेर कर पानी हमारे अरमानों पे
हम मुन्तजिर रहे उन दो लफ़्ज़ों के लिए
उम्र गुज़र गयी पर कहाँ हासिल हुआ वो
क्यूँ हमारी बेबसी पर यूँ तंज़ कसे जाते हो
ना जाने क्यूँ मेरे दर्द पर तुम मुस्कुराते हो
मोहब्बत के सफ़र में ऐसे भी मुकाम आते हैं
जब उनके पहलू में हम खुद को भूल जाते हैं
उन तन्हाईओं में भी तो तुम्हारी यादें ही साथ आती हैं
जब यूँ ही खामोशियाँ तुम्हारे मिलन के गीत सुनाती हैं
कर सको तो कर लेना हमारा इंतज़ार
हम वादा करके यूँ भूलते नहीं कभी
मिलना ही होगा हमें फिर से इक बार
कई अफ़साने अधूरे हैं सुनाने को अभी
रुसवाइयों से अब मैं नहीं डरता हूँ अपनी
इसी बहाने उनके नाम से मैं जुड़ जाता हूँ
मोहब्बत का हर आग़ाज़ इक ग़ज़ल है
मोहब्बत का हर अंजाम इक ग़ज़ल है
मोहब्बत का हर सवाल इक ग़ज़ल है
मोहब्बत का हर जवाब इक ग़ज़ल है
मोहब्बत का हर अंदाज़ इक ग़ज़ल है
क्यूंकि मोहब्बत खुद इक खूबसरत ग़ज़ल है
उन्हें गुमां भी नहीं उनकी बदगुमानियों ने क्या कहर ढाया है
मेरे इश्क की तमाम गुजारिशों को साज़िश समझ ठुकराया है
मोहब्बत के उनके अंदाज़-ए-बयां पर हम अपना दिल उन्हें दे बैठे
उनसे पूछा तो बताया उन्होंने वो मोहब्बत की तालीम देने निकले
वो गुमां भी कितना खुशनुमां है
कि जिसमें तेरे होने का गुमां है
ख़्वाबों में उनसे मिलकर हम ये ख्वाब सजाते रहे
वो ख़्वाबों में भी मुझसे मिलकर यूँ ही लजाते रहे
क़त्ल करना उनकी अदा है 'गर ये हमें मालूम होता मेरे खुदा
उनकी आँखों में हम कभी नहीं झांके होते अपना समझ कर
नाउम्मीदी का वो दौर कितना सुकून भरा था
यकीं मानों उम्मीदों ने सुकून मेरा चुरा लिया
कर्पूरगौरं करुणावतारम् संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् !
सदा वसंतम् हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामिः !!
जाने किस तरह से मिलना हुआ था उन से इस दिल का
दिल धड़क रहा था बेसबब और वो सबब बन बैठे इसका
उधर मौसम सर्द इधर उनका मिजाज़ सर्द
कैसे निबाहूंगा मैं अब रिश्तों की गरमियाँ
रिश्तों में गरमाहट दिल के जज्बातों से आते हैं
मिजाज़ के सर्द होने से रिश्ते बदल नहीं जाते हैं
रुसवाइयों से अपने मुझे अब बड़ा लुत्फ़ आने लगा है
सब की जुबां पर उनके साथ मेरा नाम जो आने लगा है
वो गुमां भी कितना खुशनुमां है
कि जिसमें तेरे होने का गुमां है
चाहे कोई भी सबब हो तुम्हारे यूँ मुस्कुराने का
अब तो ये है सबब मेरे तुम्हारे करीब आने का
एक वो नहीं हैं तो सूरज भी बेनूर नज़र आता है
बस उनके होने से हर शय पर नूर निखर आता है
काश वो अजनबी होते इस दिल के लिये
हम जी लिये होते कुछ पल खुद के लिये
जाने क्युँ तेरी यादें मेरे ज्यादा करीब होती हैं
शायद वो मेरी तनहाइयों की हमनसीब होती हैं
जब भी तुमसे दूर हुआ हूँ
खुद से जाने क्युँ मजबूर हुआ हूँ
तुझसे दूर होकर मैं मजबूर हो जाता हूँ
क्युंकि फिर मैं खुद से ही दूर हो जाता हूँ
यूँ ही जब कभी भी मैं अकेला होता हूँ
तुम्हारी यादें हमसफ़र बन साथ होती हैं
तेरी यादों के साए में जो वक़्त गुज़र जाता है
मेरी तन्हाइयों का वो सबसे हसीं मंज़र होता है
अब कैसे यकीं दिलाऊँ उन्हें अपनी चाहत का
दिल चीर कर देख लेना असर अपनी नज़रों का
हमें तो हसरत रही खुद को ढूँढने की उनकी नज़रों में
और इक वो हैं जो अपनी नज़रें झुकाए ही चले जाते हैं
अपनी चाहतों का यकीं नहीं दिलाना था मुझको
उनकी नज़रों ने यकीं की चाहत की थी मुझसे
ये साँसों की रवानगी भी क्या चीज़ है ..
होती किसी और से है जीता कोई और है ...
वो जब नहीं होते हैं इस दिल के पास
धड़कनें मेरी क्यूँ बेतरतीब हो जाती हैं
उनसे बिछड़ कर हम कैसे जी पायेंगे
मेरी साँसों की रवानगी तो उनसे है
वो हंसकर हमें ग़म दिये जाते हैं
हम हंसकर वही ग़म पिये जाते हैं
काश वो अजनबी होते इस दिल के लिये
हम जी लिये होते कुछ पल खुद के लिये
उनकी फितरत में है मुझे देख कर नजरें झुकाना
मेरी हसरत में है उनकी नज़रों में खुद को पाना
ता़क़यामत तेरे हुस्न के जलवों से रौशन रहे ये सुबह और शाम
खुदा भी फिर शायद न आने दे क़यामत किसी सुबह और शाम
उधर मौसम सर्द इधर उनका मिज़ाज़ सर्द
कैसे निबाहूंगा मैं अब रिश्तों की गरमियाँ
चाहे कोई भी सबब हो तुम्हारे यूँ मुस्कुराने का
अब तो ये है सबब मेरे तुम्हारे करीब आने का
जाने किस तरह से मिलना हुआ था उन से इस दिल का
दिल धड़क रहा था बेसबब और वो सबब बन बैठे इसका
रुसवाइयों से अपने मुझे अब बड़ा लुत्फ़ आने लगा है
सब की जुबां पर उनके साथ मेरा नाम जो आने लगा है
एक वो नहीं हैं तो सूरज भी बेनूर नज़र आता है
बस उनके होने से हर शय पर नूर निखर आता है
ये साँसों की रवानगी भी क्या चीज़ है
होती किसी और से है जीता कोई और है
इस दिल की हर ख्वाहीश हर आरज़ू में उनकी चाहत है
'ग़र हम न हुये उनकी चाहत में ख़ुदा जाने क्या होगा
मेरी तनहाइयों की हर मुश्किलों से वाकिफ़ हैं वो
तभी मेरी तनहाइयों से परेशान से हो जाते हैं वो
बस इनायत से उनकी मैं अपनी ये ज़िन्दगी जीता हूँ
'ग़र उन्होंने धड़कनें इनायत न कीं तो कैसे जियुंगा
जाने क्यूँ उनके दिल को इस दिल की फिकर अब होने लगी है
पहले कभी ऐसी नहीं थी उनकी फितरत मगर अब होने लगी है
उनके बंदिशों में जी कर हमने कायदे कितने सिख लिए
मोहब्बत में कायदों से अब उनको मुश्किलें होने लगीं हैं
हम उनकी इक नज़र की आस लगाए बैठे हैं
और वो हैं कि हमसे रूठे कहीं दूर जा बैठे हैं
शायद मेरे किसी गुनाह की सजा थी..
उन्होंने मेरी जानिब देखना छोड़ दिया
हम और तुम मिले हर ज़र्रे की ये ख्वाहिश थी
शायद तभी खुदा ने हमें मिलाने की साज़िश की
राह-ए-मोहब्बत की दुश्वारियां भी कितनी हसीं हैं
उन दुश्वारियों से मोहब्बत की खुशबू जो आती है
उदास तनहा ज़िन्दगी कितनी बेसबब हो गयी है
कोई सबब तो चाहिए ज़िन्दगी को जीने के लिए
जब कभी उनसे कहीं दूर चला जाता हूँ
जाने क्यूँ उनके और पास चला आता हूँ
जब से उनकी हसरतों में मेरा नाम आरज़ू बन कर ठहरा है
यूँ लगता है जैसे उनके सजदों पर अब मेरे प्यार का पहरा है
वो किस तरह से शामिल हैं मेरी हर सोच में नहीं मालूम था हमें
आज कागज़ों पर अनजाने से कलम ने उनका नाम लिख दिया
आज कागज़ों पर अनजाने से कलम ने उनका नाम लिख दिया
वो हंस कर हमारी दुश्वारियाँ जाने क्यों बढ़ा जाते हैं
'गर उन्हें इश्क है हम से तो क्यूँकर नहीं बताते हैं ..
'गर उन्हें इश्क है हम से तो क्यूँकर नहीं बताते हैं ..
वो नेमत में मिले मुझे उस ख़ुदा के
जिस ख़ुदा का मैंने सज़दा किया ....
जिस ख़ुदा का मैंने सज़दा किया ....
भुलूँ तुम्हें जो पल भर को भी अगर
तुम्हें याद करने की फिर नौबत आये
तुम्हें याद करने की फिर नौबत आये
तेरे दम पर ही ख्वाब देखा किया है इन आँखों ने
जो तु नहीं तो ख्वाब में फ़िर क्या देखा करेंगी ये
जो तु नहीं तो ख्वाब में फ़िर क्या देखा करेंगी ये
उसकी मशरुफ़ियात भी कभी कभी बहुत तड़पाती है
जब वो पास होकर भी मुझसे बहुत दूर चली जाती है
जब वो पास होकर भी मुझसे बहुत दूर चली जाती है
इस दिल का टूटना भी कैसा कहर ढाता है
पर दिल जो पत्थर का हो सम्हल ही जाता है
पर दिल जो पत्थर का हो सम्हल ही जाता है
अब कौन यूँ रोज़ रोज़ इश्क के नखड़े उठाया करे
हम ने इश्क का नाम ही इस दिल से मिटा दिया
उनकी मुस्कराहट में भी मुझे उदासी दिख जाती है ...
जब मेरी मुस्कराहट के लिए मुस्करा देते हैं वो बेसबब
जब मेरी मुस्कराहट के लिए मुस्करा देते हैं वो बेसबब