Wednesday 12 September 2012

वक़्त है तो सब है

जाने क्यूँ

आज अचानक ही

मेरा दिल उदास हो गया

खुशियों के बीच

यूँ ही निराश हो गया

अपनों के बीच

वक़्त यूँ ही गुज़र जाता है

पता नहीं चलता

कब वक़्त बदल जाता है

जैसे पर लगे हों

जाते हुए पल को

किसने देखा है

आते हुए कल को

आज खुशियों का शमा है

जिसमें ये पल थमा है

कल ना जाने हम कहाँ हों

जाने साथ अपनों का वहाँ हो

दूर कहीं कभी ऐसे में जाना पड़े

लौट कर वहाँ से कभी आ ना सकें

दर्द जुदाई का कैसे सहेंगे सब

मैं नहीं हूँगा तो कैसे रहेंगे सब

मुझसे जो खुशियाँ पाई है सब ने

वो सारी खुशियाँ लाई है रब ने

रब ना करे कभी ऐसा कहीं हो

खुशियों के मौसम में खुशियाँ नहीं हो

फिर मर के भी चैन मैं नहीं पाऊंगा

चाहे भटके रूह मेरी खुशियाँ इनकी ढूंढ लाऊंगा

बस इन्हीं ख्यालों में डूबता उतराता

हँसता हुआ अचानक ही उदास हो जाता

वक़्त है तो सब है वक़्त नहीं तो कुछ भी नहीं

वक़्त के आगे किसी की कोई शख्शियत नहीं 

No comments:

Post a Comment