Sunday 30 September 2012

यह सत्य है

यह कोई

कपोल कल्पित

गाथा नहीं

यह सत्य है

इस सृष्टि का

यह सत्य है

हर प्राणी का

यह सत्य है

हर योनी का

यह सत्य है

शिराओं में बहते लहू का

हृदय के हर स्पंदन का

स्वांस उच्छवांस का

कि हम सब में

तुम बसते हो प्रभु

हमारे हृदय में

तुम्हारा वास है

जो भी हमारी आस है

सब तुम्हारे पास है

फिर क्यूँ

हर प्राणी निराश है

शायद

नियति से ज्यादा की आस है

इसलिए

और पाने की प्यास है

तभी

हर प्राणी निराश है

तुम कुछ ऐसा कर दो प्रभु

जिसकी जो भी आस है

कर्म अगर उसके पास है

पा जाये जो उसकी आस है







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