Sunday 1 July 2012

मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ




मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ

तुम्हारे स्पर्श की अनुभूति पाना चाहता हूँ

ए मेरी अभिसारिका

तुम कभी मेरी कल्पना से निकल कर

इस दुनिया में आओ ना

मैं तुम्हें मूर्त रूप में देखना चाहता हूँ

जिन उपमाओं से अब तक तुम्हें नवाज़ा है

उन्हें गहना बनाकर

तुम्हे पहनाना चाहता हूँ

तुम्हारी कोमल कंचन काया को

सजाना संवारना चाहता हूँ

मैं सबको दिखाना चाहता हूँ 

तुम कितनी खूबसूरत हो

मेरे सपनों की मूरत हो

मैं तुम्हारा आलिंगन करना चाहता हूँ

तुम्हे अपने बाहुपाश में जकड़ना चाहता हूँ

तुम्हारी कोमल कलाइयों को पकड़ना चाहता हूँ

तुम्हारे साँसों की गरमाहट

मेरे काँधों पे महसूस करना चाहता हूँ

तुम्हारी खुशबू को

अपनी साँसों में समाना चाहता हूँ

तुम्हारे दिल की धड़कन

अपने दिल में धडकाना चाहता हूँ

जिन्हें फूलों की पंखुड़ियाँ कहता रहा अब तक

तुम्हारे उन अधरों को चूमना चाहता हूँ

तुम्हारी जुल्फों के घनेरे में

खो जाना चाहता हूँ

अब तक जिन अनुभूतियों को

बस एहसासों में समेटा रहा

उन सब को मैं जीना चाहता हूँ

ए मेरी अभिसारिका

तुम कभी मेरी कल्पना से

बाहर निकल कर

मेरी दुनिया में आओ ना

मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ

3 comments:

  1. :)प्रेम की परम पराकाष्ठा...:)

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  2. sir abhisarika ka matlab kya hota hai....???????

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