Thursday 26 July 2012

तेरी आँखें

तस्वीर से झांकती

तुम्हारी आँखों ने

जाने कैसा जादू डाला है

दिल पे काबू नहीं रहा

मन भी अब मतवाला है

जाने क्या कुछ करती हैं

झील सी गहरी तेरी आँखें

धड़कन को बेकाबू कर

उखड़ी है मेरी साँसें

आँखें हैं या मय का प्याला

देखो तो लगती है हाला

मयखाने जाना भूल गया हूँ

जब से इनमें डूब गया हूँ

अब कुछ ऐसा जतन करवा दो

आँखों से अपनी मिलवा दो

जो ना इनसे मिल सका अगर

अधूरा रहेगा रूहों का सफ़र



1 comment:

  1. बहुत ही खुबसूरत है आपके ख्याल इन आखों की तरह....:)

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