ना जाने क्यों
हर रिश्ते में
प्यार की बहती धारा पर
हम अपेक्षाओं का बाँध बना देते हैं
फिर रिश्ते सिमट कर रह जाते हैं
बाँध के उस ओर
और हम रह जाते हैं
रिश्तों के गीलेपन से अछूते
उसके इस ओर
कभी जब सैलाब आता है
बहा ले जाता है सब कुछ
टूटे हुए रिश्ते
और
अपेक्षाओं का ढेर
रह जाते हैं
बस
पश्चाताप और ग्लानि
और उसकी आग में जलते
हम ....
हर रिश्ते में
प्यार की बहती धारा पर
हम अपेक्षाओं का बाँध बना देते हैं
फिर रिश्ते सिमट कर रह जाते हैं
बाँध के उस ओर
और हम रह जाते हैं
रिश्तों के गीलेपन से अछूते
उसके इस ओर
कभी जब सैलाब आता है
बहा ले जाता है सब कुछ
टूटे हुए रिश्ते
और
अपेक्षाओं का ढेर
रह जाते हैं
बस
पश्चाताप और ग्लानि
और उसकी आग में जलते
हम ....
U definitely r a genius !!
ReplyDeleteसचमुच ही अपेक्षाएं किसी भी सम्बन्ध को धीमी मृत्यु की कगार पर ले जाती हैं.... आपने शब्दशः सही कहा और बड़ी खूबसूरती से कहा !! ढेरों शुभकामनाएँ !!!
ReplyDeleteकितना सुन्दर लिखते है आप ...वाकई बेहतरीन ...ढेरों हार्दिक शुभकामनाएँ...../
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