जाने कहाँ गए वो दिन
मेरी कविताओं का संग्रह ©
Sunday, 1 July 2012
मेरे कदमों के निशां
तुम मेरे कदमों के निशां मिटा देना ...
मैं ये मान लूँगा मैं तुमसे मिला ही नहीं ...
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