Thursday 26 July 2012

अनजाना सा चेहरा

कोई अनजाना सा चेहरा 

जाने क्यूँ पहचाना लगता है 

मिले नहीं कभी मगर 

रिश्ता पुराना लगता है

तू जैसे मेरे बीते पल का 

कोई भुला अफसाना लगता है 

जाने क्यूँ मेरे दिल को 

तू मीत पुराना लगता है 

तुझसे मिलने की सारी यादें 

इक ख्वाब सुहाना लगता है 

जाने तुझको कहाँ मिला मैं 

कोई गुज़रा ज़माना लगता है  

जाने उसकी आस में क्यों 

दिल याराना याराना लगता है 

तेरे बिना हर महफ़िल में 

मुझको वीराना लगता है 

जाने क्यूँ मेरे दिल को 

तू रब का नजराना लगता है 



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