कोई अनजाना सा चेहरा
जाने क्यूँ पहचाना लगता है
मिले नहीं कभी मगर
रिश्ता पुराना लगता है
तू जैसे मेरे बीते पल का
कोई भुला अफसाना लगता है
जाने क्यूँ मेरे दिल को
तू मीत पुराना लगता है
तुझसे मिलने की सारी यादें
इक ख्वाब सुहाना लगता है
जाने तुझको कहाँ मिला मैं
कोई गुज़रा ज़माना लगता है
जाने उसकी आस में क्यों
दिल याराना याराना लगता है
तेरे बिना हर महफ़िल में
मुझको वीराना लगता है
जाने क्यूँ मेरे दिल को
तू रब का नजराना लगता है
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