Tuesday 31 July 2012

इक नया आसमान

आओ

तुम्हें इक नया आसमान देता हूँ

उसमें

तुम तारों की नयी जमात बिछाना

चमकते इन तारों से

अपने सपनों को सजाना

और फिर

अपने अरमानों के बादलों की

इक नयी फसल उगाना

पड़ेंगीं उनसे जब फुहारें

सपने सब सच होंगे तुम्हारे

फिर एक नया सूरज उगेगा

तुम्हारे आसमान पर

उसकी किरणों से

पल्लवित होंगे

तरु

आशाओं के

और पुष्पित होंगी

आशायें

उनकी खुशबु से

महकेगा जीवन कानन

पुलकित होगा

तुम्हारा अंतर्मन

आओ

तुम्हे ले चलूँ

निराशा के बादलों के पार

उस नए आसमान में









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