Sunday 1 July 2012

अजनबी


अजनबी तुम कहीं मिले थे मुझे

जीवन के इस पार 

या फिर कौन जाने उस पार

सदियों से जाना सा लगता है 

तुम्हारा चेहरा पहचाना सा लगता है 

तुम बड़े अपने से लगते हो 

कौन हो तुम 

कुछ बता दो ना 

कहाँ से आये हो तुम 

वहाँ का पता दो ना 

शायद कोई बात निकल आये 

तुम्हारी पहचान मिल जाये 

जितना तुमको जाना है 

और तुम्हें पहचाना है 

वो एहसास ही काफी हैं 

ये विश्वास दिलाने को 

इस दिल को समझाने को 

कि तुम कोई अपने ही हो 

जिस से जन्मों का नाता है 

नहीं तो इन रिश्तों को 

ऐसे भला कौन निभाता है










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