जीवन के इस पार
या फिर कौन जाने उस पार
सदियों से जाना सा लगता है
तुम्हारा चेहरा पहचाना सा लगता है
तुम बड़े अपने से लगते हो
कौन हो तुम
कुछ बता दो ना
कहाँ से आये हो तुम
वहाँ का पता दो ना
शायद कोई बात निकल आये
तुम्हारी पहचान मिल जाये
जितना तुमको जाना है
और तुम्हें पहचाना है
वो एहसास ही काफी हैं
ये विश्वास दिलाने को
इस दिल को समझाने को
कि तुम कोई अपने ही हो
जिस से जन्मों का नाता है
नहीं तो इन रिश्तों को
ऐसे भला कौन निभाता है
Ajnabi kaun ho tum ?
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