आँखों से जो तेरी पी थी
अभी तक हूँ उस नशे में
क्या करूँ मयख़ाने जाकर
वो मज़ा नहीं मयकदे में
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प्यास ज़िन्दगी भर की
एक प्याले में समा गयी
हमने आँखों से पीना चाहा
वो हमें जाम थमा गयी
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वीराना हो या मयखाना
मकसद तो है तुझे पाना
जो तू मिल जाये वीराने को मयखाना बना दूं
नहीं तो शहर के सारे मयखाने जला दूं
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मयकदा तो बहाना है
ग़म हो तो ग़म मिटाना है
खुशियाँ भी मनाना है
पर मकसद तो एक ही है
वहाँ बस पीना पिलाना है
अभी तक हूँ उस नशे में
क्या करूँ मयख़ाने जाकर
वो मज़ा नहीं मयकदे में
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प्यास ज़िन्दगी भर की
एक प्याले में समा गयी
हमने आँखों से पीना चाहा
वो हमें जाम थमा गयी
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वीराना हो या मयखाना
मकसद तो है तुझे पाना
जो तू मिल जाये वीराने को मयखाना बना दूं
नहीं तो शहर के सारे मयखाने जला दूं
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मयकदा तो बहाना है
ग़म हो तो ग़म मिटाना है
खुशियाँ भी मनाना है
पर मकसद तो एक ही है
वहाँ बस पीना पिलाना है
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