जाने कहाँ गए वो दिन
मेरी कविताओं का संग्रह ©
Monday, 16 July 2012
एक तू नहीं
आज दिन क्यूँ उबासी ले रहा है
सांझ भी कुछ बासी हो रहा है
बस एक तू नहीं है
तो सारा आलम उदासी ढो रहा है
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