Thursday 12 July 2012

मरियम नाम था उसका

मरियम नाम था उसका ---

नुक्कड़ की एक गली में रहती थी

दिन रात खून पसीना बहा कर

परिवार का पोषण करती थी

दो बच्चे और एक पति

इन तीनों प्राणियों का बोझ

अपने नाजुक कन्धों पर सहती थी

पति उसका नशेड़ी था

बहुत बड़ा वो बेड़ी था

हरदम नशे में रहता था

मन की ना होने पर वो

मरियम और बच्चों को पीटा करता था

उस दिन मरियम के पति ने

नशे की हालत में उसको पीटा

सरे आम सड़कों पर घसीटा

उसका अपराध बस इतना था

घर में पैसा जितना था

राशन उस से ख़रीदा था

भूख से बिलखते बच्चों की खातिर

घर भी गिरवी रखा था

पर उस ज़ालिम को

उस पर कहाँ भरोसा था

उसका साथी तो बस पैसा था

पैसा जब भी मिलता था

उसका चेहरा खिलता था

जिस दिन इसमें चूक हुयी

घर की शांति समझो फूक गयी

पापी कितना अत्याचारी

बच्चों के निवाले छीन

करता नशा रातें सारी

कभी कोई जो समझाए

मतलब मरियम की शामत आये

घुटती पिसती रोती सिसकती

ज़िन्दगी यूँ ही चलती रहती

दिन भर जुगाड़ करती फिरती

रातों को चौंकती कभी सहमती

पर आँखों में सपने भी बुनती

उसने कभी हार ना मानी थी

हालात से उसने लड़ने की ठानी थी

फिर इक दिन ऐसा हुआ

ख़त्म घर में पैसा हुआ

पति ने उसको धमकाया

गाली गलौज पर उतर आया

तभी मरियम ने एक चाल चली

जितनी थीं उसकी सखी सहेली

मरियम ने सबके पति को बुलवाया

फिर उन से अपना मोल लगवाया

मोल में जिसकी बोली आई

उस से उसने पैसे रखवाई

फिर मरियम उसके संग जाने लगी

तब उसके पति की आँख खुली

जाते देख घर की इज्ज़त को

उसका मर्दाना दिल जागा

बचाने अपनी इज्ज़त को

वो उनके पीछे भागा

इक वो दिन था ----

इक आज है

अब वो मेहनत करता है

रुखा सुखा जैसा भी हो

उसी में गुज़ारा करता है

अपनी पत्नी अपने बच्चों को

प्यार भी जी भर करता है

मरियम की हिम्मत की कहानी

सुनता हूँ जब मैं उसकी जुबानी

नतमस्तक हो जाता हूँ मैं

सलाम अपना उसे देता हूँ मैं

मरियम सी ज़ुल्म की मारी

फिर कोई अबला नारी

पति से अपनी पिटेगी नहीं

हालात के आगे झुकेगी नहीं

क्योंकि मरियम ने जो राह दिखाई है

इक नयी अलख जगाई है

वो सबका कल्याण करेगा

इक नए युग का निर्माण करेगा









1 comment:

  1. बहुत खूब प्रशांत जी....

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