Sunday 1 July 2012

मोहब्बत

चलो नहीं कहता तुम्हें मुझसे मोहब्बत है 

फिर क्यों तुम बेक़रार होती हो ?

क्यूँ तुम्हारी नज़रें मेरा राह तकती हैं ?

क्यूँ हर आहट पर तुम चौंकती हो ?

क्यूँ सबसे मेरा पता पूछती हो ?

क्यूँ तुम्हारे दिल की धड़कन ठहर जाती है ?

जब मैं तुम्हारे पास नहीं होता ....

क्यूँ ?????

है कोई जवाब तुम्हारे पास ...

मेरी इन बातों का ?

तुम अपने दिल से पूछो 

वही बताएगा तुम्हें ...

सच क्या है !

और फिर भी ना समझो तो ...

शायद सच तुम्हें स्वीकार नहीं !!!

1 comment:

  1. kabhi kabhi satya ko bhram jaal ke parde mein rakhna hi shreyasakr hota hai.......... rachna bahut msnn mohak hai PrashantJi, badhai !! :)

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