अपने ख़्वाबों में
अक्सर मैंने
ऐसा मंज़र देखा है
तारों की फसल
उग आई है ज़मीं पर
और चांदनी ने उनको सींचा है
ख्वाब खिले हैं उन तारों पर
और रातों का गलीचा है
उन तारों की
फसलों की खातिर
जुगनुओं ने
सुनहला बाड़ भी खींचा है
एक सपनीली मचान है जिस पर
सुरमई बादलों का दरीचा है
खो न दूं कहीं इन ख़्वाबों को
तभी आँखों को भींचा है
हासिल चाहे कुछ ना हो
पर यह सच है कि
ख़्वाबों में मेरे
तारों का बगीचा है
अक्सर मैंने
ऐसा मंज़र देखा है
तारों की फसल
उग आई है ज़मीं पर
और चांदनी ने उनको सींचा है
ख्वाब खिले हैं उन तारों पर
और रातों का गलीचा है
उन तारों की
फसलों की खातिर
जुगनुओं ने
सुनहला बाड़ भी खींचा है
एक सपनीली मचान है जिस पर
सुरमई बादलों का दरीचा है
खो न दूं कहीं इन ख़्वाबों को
तभी आँखों को भींचा है
हासिल चाहे कुछ ना हो
पर यह सच है कि
ख़्वाबों में मेरे
तारों का बगीचा है
बहुत सुन्दर , सराहनीय ... !!
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