Thursday 5 July 2012

तारों का बगीचा

अपने ख़्वाबों में

अक्सर मैंने

ऐसा मंज़र देखा है

तारों की फसल

उग आई है ज़मीं पर

और चांदनी ने उनको सींचा है

ख्वाब खिले हैं उन तारों पर

और रातों का गलीचा है

उन तारों की

फसलों की खातिर

जुगनुओं ने

सुनहला बाड़ भी खींचा है

एक सपनीली मचान है जिस पर 

सुरमई बादलों का दरीचा है 

खो न दूं कहीं इन ख़्वाबों को 

तभी आँखों को भींचा है 

हासिल चाहे कुछ ना हो 

पर यह सच है कि

ख़्वाबों में मेरे

तारों का बगीचा है



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