Tuesday 17 July 2012

तेरे जाने के बाद

जाने क्यों

दिन बहुत ही बोझिल था

कल तेरे जाने के बाद

सांझ भी उदासी ढोती रही

कल तेरे जाने के बाद

रात भी छुप छुप कर रोती रही

कल तेरे जाने के बाद

जाने किस बात से हैरां थे सब

कल तेरे जाने के बाद

जाने किस गम से परेशां थे सब

कल तेरे जाने के बाद

जाने क्यूँ तड़पते रहे सब

कल तेरे जाने के बाद

ज़िन्दगी थम सी गयी है

सनम तेरे जाने के बाद

जाने दिल क्यूँ पत्थर सा हो गया है

बस तेरे जाने के बाद

हसरतें भी सिमट गयीं हैं

अब तेरे जाने के बाद

चाहतें मरने लगीं हैं

सब तेरे जाने के बाद

मंजिलें सब खो गयीं

कल तेरे जाने के बाद

ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं रही

इक तेरे जाने के बाद

खुद को नहीं देखा मैंने

कल तेरे जाने के बाद

तेरे ना होने का गम क्या है

ये जाना मैंने

कल तेरे जाने के बाद

कहीं से लौट कर आ जाओ

कि दिल नहीं लगता सनम

अब तेरे जाने के बाद








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