चाँदनी रात थी,
हवा में तेरी साँसों की सरगोशी,
और आसमान —
जैसे हमारे वादे का गवाह बना हो।
तेरे हाथों में मेरा हाथ,
मगर इस बार
कोई डर नहीं था जुदाई का,
बस एक गहरा सुकून,
जैसे दो रूहें
अपनी मंज़िल पा चुकी हों।
मैंने तुझे देखा,
तूने मुझे महसूस किया —
और हम दोनों ने
एक साथ
दिल की तह में एक वादा लिखा:
"अब हम कभी नहीं बिछड़ेंगे..."
ना वक़्त की रेखाएँ
हमें अलग कर सकेंगी,
ना तक़दीर के मोड़
हमारी राहें मोड़ पाएँगे।
हम रूह हैं —
जिस्म की मजबूरियाँ
हमें नहीं रोक सकतीं।
तेरे बिना अब
मेरे नाम की कोई अहमियत नहीं,
तेरे साथ
हर पल,
एक नई कायनात बन जाता है।
हमने अब
इश्क़ को इबादत नहीं,
इबादत को इश्क़ बना दिया है।
तेरे होंठों से निकली हर साँस
मेरे वजूद में बस जाती है,
और मेरी हर धड़कन
तेरे नाम की तस्बीह बन चुकी है।
हम अब
सिर्फ़ साथ नहीं हैं,
हम एक हैं —
जैसे आवाज़ और उसका साज़,
जैसे बारिश और उसकी मिट्टी की महक।
तू जहाँ जाएगा,
मेरी रूह तेरे साथ चलेगी,
मैं जहाँ थम जाऊँ,
तेरी आँखें मेरा रास्ता बनेंगी।
अब जुदाई
सिर्फ़ एक पुराना सपना है,
जो हमने जी तो लिया,
मगर अब कभी दोहराएँगे नहीं।
कसम इस आसमान की,
जो हर रात हमारे ऊपर
सन्नाटे में सितारे बिछाता है,
कसम उस पहली नज़र की,
जिसने हमें पहचान दिया —
हम अब
हर जनम, हर पल, हर सांस
साथ जिएँगे,
साथ मरेंगे,
और फिर से साथ जन्म लेंगे।
हम वो इश्क़ हैं
जिसे खुदा ने लिखा,
जिसे वक़्त ने सींचा,
और जिसे रूहों ने
अपनी आख़िरी दुआ बना लिया।
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