Monday, 9 June 2025

उनसे मोहब्बत हो गई

 उनको देखा —

तो लगा जैसे

दिल ने पहली बार

धड़कना सीखा।


एक झलक में

जैसे सदियाँ

गुज़र गईं चुपचाप,

बिना कुछ कहे।


नज़रों ने

इकरार कर लिया,

लफ़्ज़ों ने

इंकार भी न किया।


राहें मुड़ गईं

उनकी तरफ़,

और वजूद मेरा

उनमें गुम हो गया।


उनकी दुआ में

मेरा नाम था शायद,

या मेरी तन्हाई

उनकी आदत बन गई।


अब हर शाम

उनसे शुरू होती है,

हर रात

उनके ख्वाबों में ही सोती है।


उनकी हँसी —

जैसे कोई सज़दा,

उनकी चुप्पी —

जैसे कोई दुआ।


मैंने कभी

मांग कर कुछ न लिया,

पर जो मिला…

वो सिर्फ़ वो था।


अब ये दिल

उन्हीं की धड़कन है,

और रूह —

उन्ही से चलती है।


ना ये इश्क़

सिर्फ़ इश्क़ रहा,

ना मैं

सिर्फ़ मैं रहा।


कुछ तो हुआ है,

कुछ बेहद गहरा,

जैसे

इबादत को ख़ुदा मिल गया।




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