वो दिन —
जैसे वक़्त ने
किसी पुराने नक़्श को दोबारा छू लिया हो,
तेरे सामने आने से
सब लम्हे फिर से
साँस लेने लगे।
तू आया —
तो रूह ने
कलेजे की थाह ली,
और दिल ने
अपने ही सीने में
तेरी धड़कनें सुनीं।
तेरी आँखों में
वही उजाला था
जिसने पहली बार
मेरे अंधेरों को सहलाया था।
मगर इस बार
इश्क़ मासूम नहीं था —
ये इश्क़ अब
तज़ुर्बे की राख से निकली
रूह की लौ था।
ना कोई सवाल था,
ना जवाब की तलाश,
बस तेरा होना
मेरे वजूद का सबूत बन गया।
अब लफ़्ज़ कम पड़ते हैं,
क्योंकि हम
ख़ामोशी में बात करना सीख गए हैं।
तेरा सिर
जब मेरी छाती पर टिकता है,
तो मेरी साँसें
तेरे बालों की खुशबू से इबादत करती हैं।
हम अब वक़्त को नहीं गिनते,
हम लम्हों में जीते हैं —
छोटे छोटे,
रूह के तले बुनते हुए पल।
तेरे होंठों पर
अब शिकायत नहीं,
बस वो सुकून है
जो हर जुदाई को
माफ़ कर देता है।
तेरा हाथ पकड़ते ही
ऐसा लगता है —
जैसे सारा ब्रह्मांड
थोड़ी देर के लिए
रुक जाता है।
अब मोहब्बत
कोई तड़पती दुआ नहीं,
ये अब एक तसल्ली है —
जिसमें हम दोनों
रब के करीब हो जाते हैं।
मैं जानता हूँ,
अब तू फिर नहीं जाएगी,
क्योंकि अब
तेरी रूह
मेरी रूह में बस चुकी है।
अब अगर तू रोए भी,
तो मेरी पलकों से
आँसू टपकते हैं।
तेरी हँसी,
मेरे दिल की सबसे प्यारी नज़्म बन गई है।
हम अब महज़ आशिक़ नहीं,
हम रूहों के साथी हैं —
जिनका इश्क़
किसी तारीख़ या मकान का मोहताज नहीं।
अब कोई "कभी नहीं"
हमारे दरमियान नहीं बचा,
अब सिर्फ़ "हमेशा" है —
एक बेआवाज़,
बेहद रूहानी,
बेहद गहरा वादा।
और जब कोई पूछे —
कौन हो तुम दोनों?
हम मुस्कुरा कर कहेंगे,
"हम वो हैं
जो एक दूसरे की दुआओं में जन्मे थे।"
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