Monday, 9 June 2025

तेरा नाम इबादत हुआ


उनको देखते ही

कुछ रुक-सा गया,

वक़्त भी शायद

मुस्कुरा गया।


साँसों में जैसे

ख़ुशबू समा गई,

धड़कन ने उनकी

सदा पा ली।


लब खामोश थे,

पर दिल ने कहा —

"तू ही मेरी

हर दुआ है "


नज़रों से उतरकर

रूह में बस गए,

अल्फ़ाज़ बनकर

लब पे रच गए।


चाँदनी रातों में

तेरा ही असर,

हर तारें में

तेरा ही जिक्र।


उनके साए में

सुकून मिला,

जैसे हर दर्द

को मरहम मिला 


हँसी उनकी

एक नूर-सा लगी,

और तन्हाई भी

मसरूर-सी लगी।


तेरा नाम लिया

तो दिल रो पड़ा,

हर अश्क में

तेरी याद बह निकली 


कभी बादल बनकर

बरसते रहे,

कभी ख्वाबों में

मुस्काते रहे।


तेरे छू लेने भर से

मैं कुछ और हो गया

मेरी इबादत में

अब तेरा नाम     

शुमार हो गया।


अब ना ज़रूरत

किसी मन्नत की

ना दुआओं की 

बस तेरे नाम से

पूरी हर हसरत की 


तुझसे ही मेरा

सवेरा हुआ,

तूझसे ही मेरा

अंधेरा हुआ।


तेरी हँसी में

बसा है जहां,

तेरे बिना

सब सुनसान-सा।


मुझे अब और

कुछ नहीं चाहिए,

बस तू चाहिए,

तू चाहिए… तू चाहिए।




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