Wednesday, 18 June 2025

रूहों का मिलन: कायनात का फैसला


एक नज़र…
बस एक नज़र थी,
और वक़्त की धड़कनें जैसे
किसी पुराने संगीत में थम गईं।

वो खामोशी थी —
जिसमें सदियों की पुकारें समाई थीं,
वो मुस्कान थी —
जिसने मेरी रूह की दीवारों पर
जलती चिराग़ों की लौ पहुँचा दी।

न कोई नाम,
न कोई परिचय —
फिर भी
उस एक पल में
मेरी पहचान पूरी हो गई।

मैंने उसे नहीं देखा —
मैंने उसे पहचाना।

जैसे आत्मा ने आत्मा को छू लिया हो,
जैसे मेरी हर पूर्वजन्म की तलाश
उसकी आंखों की गहराई में
शब्दहीन पूरी हो गई हो।

हम दो थे…
पर दिल के भीतर
कोई दीवार नहीं थी —
केवल एक समर्पण था,
एक मौन संगीत था
जो पृथ्वी की धड़कनों से भी पुराना था।

यह प्रेम नहीं था…
यह स्मरण था।
उन जन्मों का स्मरण,
जहाँ हम साथ थे —
जहाँ प्रेम ने कोई देह नहीं माँगी थी।

पर विधि की चालें रहस्यमयी थीं,
और नियति की राहों में
कुछ धूल भरे मोड़ आ गए।

वो चली गई —
जैसे कोई इबादत अधूरी रह जाए,
और मैं…
मैं उसकी याद में
हर शाम सूरज को ढलते देखता रहा।

हर मौसम में उसकी गंध थी,
हर भीड़ में उसका साया,
हर गीत में कोई पंक्ति
बस उसकी ही लगती थी।

मैंने वर्षों तक चाँद से पूछा —
क्या वो भी उसे देखता है?
और चाँद ने हर बार
मेरे आंसुओं से ही जवाब दिया।

मैंने तारे गिने,
रातें जानी,
दुआएँ माँगी,
और अंततः…
मैंने इंतज़ार को प्रेम का दूसरा नाम मान लिया।

फिर एक दिन —
जब उम्मीदों की राख भी ठंडी पड़ चुकी थी,
कायनात ने अपनी रहमतों की चादर खोल दी।

वो लौटी…

ना जैसे कोई लौटा हो,
बल्कि जैसे समय ने
अपने अधूरे शब्द वापस लिखे हों।

हम फिर आमने-सामने थे —
न कोई सवाल, न सफाई,
केवल आँखें जो कह रही थीं:
“हम रुक नहीं पाए, पर हम रुके थे।”

उसने मेरा नाम नहीं लिया,
पर उसकी साँसों में
मेरे हर जन्म की पुकार थी।

और मैंने समझ लिया —
यह मिलन प्रेम का नहीं,
यह मिलन नियति का था।

ना उसने मुझे ढूँढा,
ना मैंने उसे पुकारा —
कायनात ने खुद ये निर्णय लिया था
कि अब वो रूहें
जिन्हें वक़्त ने बिछाड़ा था,
उन्हें पुनः एक कर दिया जाए।

क्योंकि...

सच्ची आत्माएँ कभी मरती नहीं,
वो बस समय से परे चलती हैं।

और जब ब्रह्मांड बोलता है —
तो इश्क़ लौट आता है।

हम फिर एक हो गए —
एक आत्मा, दो साँसें,
एक प्रेम, दो जीवन।

और जब हम साथ खड़े थे,
तो आकाश ने थाम लिया सूरज को,
पृथ्वी ने थाम ली अपनी गति,
और हवाओं ने कहा—

यह केवल मिलन नहीं,
यह कायनात का फैसला है।


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