Wednesday, 4 June 2025

झील में चाँद सा तेरा अक्स


झील में चाँद सा तेरा अक्स,

हर लहर में सहर जगाता है,

जैसे रूह मेरी तुझमें घुलकर,

ख़्वाब कोई नया बनाता है।


तेरा चेहरा जब पानी में उतरे,

चाँद खुद को छुपा ले कहीं,

उसमें जो नूर दिखता है मुझको,

वो तेरे प्यार की रोशनी।


तेरी जुल्फ़ें लहरों सी चलें,

तेरी साँसें महकती बयार,

तेरे छू जाने से झील भी,

गुनगुनाए कोई मधुर सितार।


मैं झुकूँ तो तू पास लगे,

जैसे पानी से निकले दुआ,

तेरी आँखों में जो चमक है,

वो रातों से कहे हर दास्ताँ।


तेरा अक्स नहीं बस अक्स है,

वो तो दिल का दरपन है कोई,

जिसे देखूँ तो थम जाए पल,

और सांसें भी खो जाएं कहीं।


तेरे बिना ये झील भी सूनी,

चाँद भी लगे कुछ अधूरा सा,

तू साथ हो तो हर लहर कहे —

"तू ही मेरा, तू ही मेरा चाँद सा।"


हर बूँद में तेरा नाम लिखूं,

हर सिसकी में तेरा गीत बुनूं,

तेरे साए में जब भी चलूं,

तो वक़्त को भी रुकता सुनूं।


झील में चाँद सा तेरा अक्स,

अब कोई भरम नहीं लगता,

वो तो मेरा इश्क़ है सारा —

जो पानी में भी सच लगता।




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