बिछड़ने के उस पल की खामोशी,
मेरे दिल की सबसे बड़ी पुकार है,
तुम्हारे जाने की घड़ी कुछ इस कदर धीमी थी,
जैसे वक़्त ने भी अपने कदम थाम लिए हों।
हवा भी कुछ ज़्यादा ही ठंडी लग रही थी,
और आसमान जैसे अपनी आँसू छुपा रहा हो।
मगर मैं चुप था,
दिल को चुप करा रहा था,
पर अंदर एक तूफ़ान था,
जो हर सांस के साथ और तेज़ होता जा रहा था।
तेरी आख़िरी नज़र में जो आंसू थे,
उनमें मेरे पूरे वजूद की चुप्पी थी।
मैंने कोशिश की मुस्कुराने की,
पर वो मुस्कान भी टूटती हुई थी।
वो लम्हा जब हमने कहा “फिर मिलेंगे,”
मगर दिल को पता था,
कि वो “फिर” कहीं खो गया है।
और जुदाई की इस दूरी ने,
हमारे प्यार को और गहरा बना दिया।
मैं तेरे बिना जीना नहीं चाहता,
पर तेरे लिए जीना भी सीख रहा हूँ।
क्योंकि प्यार सिर्फ साथ रहने का नाम नहीं,
वो तो दिल से दिल का रिश्ता है,
जो दूर होकर भी टूटता नहीं।
अब ये चाँदनी रातें भी तन्हा लगती हैं,
और तेरे बिना ये रास्ते सुनसान।
पर मैं यकीन करता हूँ,
कि ये बिछड़ने का पल,
हमारी कहानी का सबसे खूबसूरत मोड़ है —
जहाँ से फिर कोई लौट कर आएगा।
तू मेरे साथ है, हर सांस में,
हर ख्वाब में, हर दुआ में।
हमेशा तेरा,
तेरे बिना भी तुझसे जुड़ा।
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