Thursday, 5 June 2025

वादा तो नहीं था


ऐसा कोई
ज़िन्दगी से
वादा तो नहीं था,
तेरे बिना
जीने का
इरादा नहीं था।

पर जब तू गई 
छोड़ के
कुछ कहे बिन,
सांसें तो थीं 
पर दिल में
वो नशा नहीं था।

हर सुबह
बेमानी सी
लगती रही,
चाय में भी
तेरा नाम
घुलता रहा।

दीवारों ने
तेरी परछाईं
नहीं छोड़ी,
रात की चुप्पी
तेरे गीत
गुनगुनाती रही।

फूल भी
अब रंगों से
शरमाते हैं,
तेरे जाने के बाद
ये गुलाब अब नहीं हँसते।

जिस मोड़ पर
तू साथ
छोड़ गई 
वहीं से
रास्ते भी
आगे बढ़ना भूल गए।

मैंने सोचा था
ज़िन्दगी होगी
तेरे साथ,
पर तेरे बिन
ज़िन्दगी ने
कोई बात ही नहीं की।

तेरे नाम की
एक चुप्पी
हर बात में है,
तेरे स्पर्श की
तनहाई 
बरसात में है।

हर मौसम
तेरे ख्यालों में
डूबा मिला,
हर साज़
तेरी आवाज़ 
से जुदा मिला 

जो कुछ भी अधूरा
छूट गया था 
उस पल में,
वही मेरा
फसाना बना।

तेरी यादों की
रौशनी में
जी रहा हूँ अब 
वरना अंधेरों से
दोस्ती का कोई इरादा
नहीं था।

ऐसा कोई
ज़िन्दगी से
वादा तो नहीं था,
तेरे बिना
जीने का
इरादा नहीं था।


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