जिंदगी के इस पड़ाव पर आकर
मिले हो जो तुम मुझको
मेरे महबूब
जिंदगी
सुहानी लगने लगी है
जिन रंगों से
मैं बेपरवाह था अब तक
उन रंगों से
मेरी महफ़िल
सजने लगी है
हर तरफ उदासी का
जो आलम था
खुशियाँ उनमें अब
बसने लगी हैं
ये रास्ते जो अब तक
अनजाने थे
मंजिलों से अपने
मिलने लगी हैं
गुलशन यहाँ
सारे वीरान थे
वहाँ मोहब्बत की कलियाँ
अब खिलने लगी हैं
घर गलियाँ चौबारे
सब सुनसान थे सारे
तेरे पायल की छम छम से
अब फिर से उनमे
संगीत सी बजने लगी है
शायद तुम मेरी दुआ थी
उस खुदा से
मेरी दुआ
अब कुबूल होने लगी हैं
bahut khoob
ReplyDeleteबेहतरीन सच .../
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