Friday 31 August 2012

मेरे महबूब ....तेरे लिए (भाग-३)

अभी तो रात बस जवान हुई है 
खत्म ये कहानी भी कहाँ हुई है
देखो तुम ख्वाब मिलन वाले 
आज हमारी कहानी रवां हुई है 
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अभी और इसी वक्त है वो शमा 
फिर ना जाने मैं कहाँ और तू कहाँ 
कहनी है तो कह दे अपने दिल की बात 
आज मौसम भी है..मौका भी है..और है चाँद रात 
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फूलों से 'गर महक चली जाए
वो फूल नहीं कागज का टुकड़ा है 
रिश्तों से अगर चाहत चली जाए 
फिर वो रिश्ता नहीं बस एक मुखडा है
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हम तुम पर इस क़दर मर मिटेंगे
तुम जिधर देखोगे बस हम दिखेंगे 
देखना तुम भी ये हमारे बाद 
इस प्यार की दास्ताँ दुनियावाले लिखेंगे
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जिंदगी कितनी खूबसूरत होती 
जो तेरी चाहत अधूरी ना होती 
कुछ उलझनें कुछ मजबूरियां होतीं बेशक 
मगर प्यार में इतनी दूरियां ना होतीं 
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मिलने से पहले बिछड़ने की जो बात करते हो 
तुम तो अपने ही यकीं पर तुषारापात करते हो 
मुझे तो अपने प्यार पर खुद से ज्यादा भरोसा है 
तुम हो कि इस प्यार पर सरेआम बात करते हो 
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तुमने अपने दिल में देखा ही नहीं 
मोहब्बतों का सैलाब उमड़ रहा है वहाँ 
फिर कैसे कह दिया अकेले हो तुम 
जब उस दिल में मेरी मोहब्बत है जवां 
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क्यूँ मिटाती हो मेरी यादों को अपने दिल से 
क्यूँ हरदम रहती हो यूँ खफा अपने दिल से
तुम्हारे उस दिल में मेरा प्यार बसता है सनम 
और कुछ नहीं बस करो प्यार अपने दिल से 
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अब जब मोहब्बत की शाम आई है 
मेरे हाथों में तेरे नाम की जाम आई है 
मत करो अब यूँ कभी रोने की बात 
मेरी चाहत तेरे सदके के काम आई है 
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अब अदा कहो या इसे मेरी मोहब्बत 
ऐसा ही हूँ मैं इसे मेरी वफ़ा समझो 
ज़ख्म तुझको देने से पहले फना हो जाऊंगा मैं 
मुझको तुम कभी बेवफा ना समझो 
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सनम मेरे जब दिल में मैं बसा हूँ तेरे 
तनहा कभी हो नहीं सकती तू होते हुए मेरे
क्यूँ खुद को हरदम यूँ तुम जलाती हो 
दिल टूटने की बात से मुझको तुम रुलाती हो 
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बेवफाई का शायद तुम्हे तजुर्बा नहीं 
खामोश हूँ तो ये मत समझो 
मोहब्बत का मुझमे जज़बा नहीं 
दिल चीर कर जब भी देखोगे मेरा
तुम्हारा प्यार दिखेगा और कुछ नहीं 
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मैंने तो तेरे दिल में अपना आशियाँ बनाया है 
मोहब्बत के सितारों से उस आशियाँ को सजाया है 
अब जाना कहाँ है तुम्हे मुझको पाने के लिए 
बस झांक अपने दिल में और कह तुने मुझे बुलाया है


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