Friday 10 August 2012

मेरी प्रियतमा

मेरे ख़्वाबों में बसने वाली

मेरी प्रियतमा

आज फिर मैं तुमसे

मेरी दुनिया में आने की

ज़िद करने वाला हूँ

अब और इंतज़ार नहीं होता

हर पल हर घड़ी बस

कभी ना खत्म होने वाला

तुम्हारा इंतज़ार

अब और इंतज़ार नहीं होता 

कहीं से बस तुम आ जाओ

कितने जतन किये हैं मैंने

बस तुमको पाने के लिये

सबसे बैर मोल लिये हैं मैंने

बस तुमको पाने के लिये

बैरी कितना ये ज़माना है

जब से इसने जाना है

तुम मेरे ख़्वाबों में बसती हो

वहीँ सजती और संवरती हो

ख्वाबों पर मेरे

अब पहरे लगने लगे हैं

अब तुम ही आकर

इनको समझाओ

मुझसे तो ये जलने लगे हैं

तुम कितनी खूबसूरत हो

जैसे किसी मंदिर की मूरत हो

ऐसी खूबसूरती

ना तो किसी ने देखी है

और ना ही किसी ने जानी है

इसलिए तो

सारी दुनिया

तुमसे अनजानी है

जिस दिन तुम

मेरी दुनिया में आओगी

सब के मन को भा जाओगी

पर मैं तुम्हे दिल में

छुपा कर ही रखूंगा

तुम मेरी हो

और मेरी ही रहोगी

हरदम यही कहूँगा


















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