पनघट पे घट फूट गया
टूटी मन की आस
घट फूटे पानी बहे सब
बुझेगी कैसे प्यास
बुझेगी कैसे प्यास
पथिक की
जो है आवनहार
कर कर विनती
हारी गोरी
मिले ना घट इक बार
मिले ना घट इक बार
जो चाहे गोरी
कर ले विनती हज़ार
गोरी सोच सोच पगलाए
करेगी क्या उपचार
करेगी क्या उपचार
सखी री
जो अबकी सावन आये
मांग ना कोई उपहार
मांग ना कोई उपहार
जो ना घट दी इक बार
सखी री
कर ना अब इनकार
कर ना अब इनकार
सखी री
दे दे घट इक बार
प्यास बुझा लूं
अपने पथिक की
ले ले मेरे घर बार
ले ले मेरे घर बार
सखी री
प्यास बुझाऊँ जिस पथिक की
वही मेरे संसार
वही मेरे संसार
सखी री
दे दे घट इक बार
सखी री
दे दे घट इक बार
टूटी मन की आस
घट फूटे पानी बहे सब
बुझेगी कैसे प्यास
बुझेगी कैसे प्यास
पथिक की
जो है आवनहार
कर कर विनती
हारी गोरी
मिले ना घट इक बार
मिले ना घट इक बार
जो चाहे गोरी
कर ले विनती हज़ार
गोरी सोच सोच पगलाए
करेगी क्या उपचार
करेगी क्या उपचार
सखी री
जो अबकी सावन आये
मांग ना कोई उपहार
मांग ना कोई उपहार
जो ना घट दी इक बार
सखी री
कर ना अब इनकार
कर ना अब इनकार
सखी री
दे दे घट इक बार
प्यास बुझा लूं
अपने पथिक की
ले ले मेरे घर बार
ले ले मेरे घर बार
सखी री
प्यास बुझाऊँ जिस पथिक की
वही मेरे संसार
वही मेरे संसार
सखी री
दे दे घट इक बार
सखी री
दे दे घट इक बार
बहुत बहुत सुन्दर..:-)
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