Monday 27 August 2012

तेरे लिये

तुम क्या गयी

जिंदगी बदल गयी

साँसें आती जाती रही

बदन से रूह निकल गयी

मैं तो इक आवारा बादल था

भटकता दीवाना पागल था

तुमने जीना सिखाया मुझे

जीने के काबिल बनाया मुझे

बिखरे तिनकों को जोड़

मेरा घर बसाया था तुमने

मेरे जीवन की बगिया को

गुलशन सा महकाया था तुमने

तुमने सपनों से अपने

जिंदगी मेरी संवारी थी

तभी तो मैंने दुनिया अपनी

सारी तुझ पे वारी थी

तुम क्यूँ चली गयी

मुझसे यूँ रूठ कर

बिखर गया हूँ मैं देखो

खुद से टूट कर

मैंने तुम्हारे जज्बातों की

क़दर ना जानी

खेलता रहा उनसे और

करता रहा मनमानी

तू इस तरह जो बिगड़ गयी

दुनिया मेरी देख उजड़ गयी

अब तुम्हारे बिन

इक पल भी रहा नहीं जाता

गम ये जुदाई का

मुझसे सहा नहीं जाता

आ जाओ

कि जीना मेरा ज़रुरी है

मेरे लिये

क्योंकि मांगी थी

ये जिंदगी सनम मैंने बस

तेरे लिये






No comments:

Post a Comment