जाने कहाँ गए वो दिन
मेरी कविताओं का संग्रह ©
Tuesday, 7 August 2012
दर्द के मुकाम
सूखे घाव
कल की यादें
बीते पल
शाम की बातें
टूटे सपने
गुजरी रातें
दर्द के हैं
सारे मुकाम
फिर क्यूँ
हवा दें इन्हें
क्यूँ दिल में
जगह दें इन्हें
क्यूँ ना मिटा दें
इनके निशां
खत्म कर दें
सारे इम्तेहां
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