आ जाओ मेरे पास इतना
कि
मेरी गर्म साँसें
तुम्हारे गालों से टकरा कर
मुझे
तुम्हारे पास होने का
अहसास दिला सके
तुम्हारे बदन की खुशबू
मेरी साँसों में घुलकर
तुम्हें
नशे की घूँट पीला सके
तुम्हारी बंद आँखों में
तैरते सपने
मेरे होठों का स्पर्श पाकर
मन ही मन इतरा सके
तुम्हारे गेसुओं के घनेरे में
फिसलती मेरी उँगलियाँ
तुम्हें
सुकूं के कुछ पल दिला सके
मेरी बाहों के घेरे में लिपटा
तुम्हारा ये कोमल सा बदन
मेरी सारी कायनात को
हिला सके
कि
मेरी गर्म साँसें
तुम्हारे गालों से टकरा कर
मुझे
तुम्हारे पास होने का
अहसास दिला सके
तुम्हारे बदन की खुशबू
मेरी साँसों में घुलकर
तुम्हें
नशे की घूँट पीला सके
तुम्हारी बंद आँखों में
तैरते सपने
मेरे होठों का स्पर्श पाकर
मन ही मन इतरा सके
तुम्हारे गेसुओं के घनेरे में
फिसलती मेरी उँगलियाँ
तुम्हें
सुकूं के कुछ पल दिला सके
मेरी बाहों के घेरे में लिपटा
तुम्हारा ये कोमल सा बदन
मेरी सारी कायनात को
हिला सके
वाह, श्रृंगार रस... बहुत खूब !!!!!!!!
ReplyDeletedil ke jazbaat kitne paq hain apke........bahut khubsurat.....
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