घड़ी
जब भी
जो भी
बजाती है
बस
तुम्हारी याद
दिलाती है
उसकी टिक टिक
तुम्हारे धड़कन की तरह
दिल में मेरे
समाती है
और जब
दोनों कांटे
एक दुसरे से
मिलते हैं
यूँ लगता है
तुम्हारी कंचन काया
मुझसे आकर
लिपट जाती है
जाने क्यूँ
अब इस घड़ी से
मोहब्बत सा हो गया है
शायद
इसके होने से
तुम्हारे होने का
गुमां सा हो गया है
जब भी
जो भी
बजाती है
बस
तुम्हारी याद
दिलाती है
उसकी टिक टिक
तुम्हारे धड़कन की तरह
दिल में मेरे
समाती है
और जब
दोनों कांटे
एक दुसरे से
मिलते हैं
यूँ लगता है
तुम्हारी कंचन काया
मुझसे आकर
लिपट जाती है
जाने क्यूँ
अब इस घड़ी से
मोहब्बत सा हो गया है
शायद
इसके होने से
तुम्हारे होने का
गुमां सा हो गया है
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