Tuesday 7 August 2012

मेरा मन


जब कभी

तुम्हारा ख्याल

मेरे मन में

आता है

एक खूबसूरत सा अहसास

मेरे मन को

छूकर जाता है

अहसास के उस छुवन से

मेरा मन

संदल संदल हो जाता है

ख्यालों के

मखमली पंख लगाकर

मेरा मन

जाने कहाँ उड़ जाता है

तुम्हारे अहसास के फूलों

के खिलते ही

मेरा मन

भंवरा बन

उनपर मंडराता है

तुम्हारे ख्यालों की

खुशबू के पीछे

मेरा मन

जाने कहाँ बौराता है

शायद

तुम होती हो कहीं

आस पास

तभी तुम्हारा अहसास

मेरे मन को

छू कर जाता है

और तुमसे

मिलने की चाहत में

मेरा मन

मुझसे दूर

कहीं चला जाता है












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