Wednesday 1 August 2012

मेरे महबूब

मेरे महबूब

यूँ तेरा खामोश रहना

दिल को मेरे गंवारा नहीं

तू इश्क है मेरा

तू रूह है मेरा

दिल की बात

किस से कहूँ मैं

इस दिल का

कोई और सहारा नहीं

तुझसे जितनी कुरबतें हैं

कहीं और वो हमारा नहीं

किसी और तस्वीर को

कभी इस दिल में उतारा नहीं

तुझसे बढ़कर मेरे महबूब

इन आँखों का कोई नज़ारा नहीं

खामोशी तोड़ अब सम्हालो मुझे

तेरे बिना मेरे महबूब

इस दिल का कहीं गुज़ारा नहीं






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