मेरे महबूब
यूँ तेरा खामोश रहना
दिल को मेरे गंवारा नहीं
तू इश्क है मेरा
तू रूह है मेरा
दिल की बात
किस से कहूँ मैं
इस दिल का
कोई और सहारा नहीं
तुझसे जितनी कुरबतें हैं
कहीं और वो हमारा नहीं
किसी और तस्वीर को
कभी इस दिल में उतारा नहीं
तुझसे बढ़कर मेरे महबूब
इन आँखों का कोई नज़ारा नहीं
खामोशी तोड़ अब सम्हालो मुझे
तेरे बिना मेरे महबूब
इस दिल का कहीं गुज़ारा नहीं
यूँ तेरा खामोश रहना
दिल को मेरे गंवारा नहीं
तू इश्क है मेरा
तू रूह है मेरा
दिल की बात
किस से कहूँ मैं
इस दिल का
कोई और सहारा नहीं
तुझसे जितनी कुरबतें हैं
कहीं और वो हमारा नहीं
किसी और तस्वीर को
कभी इस दिल में उतारा नहीं
तुझसे बढ़कर मेरे महबूब
इन आँखों का कोई नज़ारा नहीं
खामोशी तोड़ अब सम्हालो मुझे
तेरे बिना मेरे महबूब
इस दिल का कहीं गुज़ारा नहीं
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