आज सफर में
फुरसत में बैठा हूँ
तो यादों के झरोखों से
कितनी सारी यादें
झांक रही हैं
उन झरोखों पर पड़ी धुंध को
हाथों से हटाता हूँ तो
कितने सारे लम्हे
सामने से गुजर जाते हैं
यादों की अँधेरी गलियों से निकल कर
क्रम से खड़े हो जाते हैं
मेरी यादों में अपनी
उपस्थिति दर्ज कराने
और प्रतीक्षारत हो जाते हैं
उनसे होकर
मेरे गुजरने के लिये
सोचता हूँ आज जब
समय भी
मेरे साथ फुरसत में बैठा है तो
उन बीते लम्हों को
एक बार
फिर से जी लूं
कितना लम्बा समय निकल गया
हर पल
फिर भी यूँ लगता है
जैसे
अभी अभी
जिया हूँ मैं
बचपन की अठखेलियाँ
यौवन की रंगरेलियां
फिर उनसे मिलना
हमारे प्यार के
फूल का खिलना
मिलना फिर
मिलकर बिछडना
हंसना रोना
पाना खोना
लड़ना पछताना
रूठना मनाना
सब
अभी अभी तो
जिया हूँ मैं
जाने कितनी ऋतुएं बीतीं
पर आज भी
हर वसंत की खुशबू
मेरी साँसों में घुली है
हर बारिश के छीटों से
मेरी यादें आज भी धुली हैं
किसी भी जेठ की तपन
मुझको नहीं भूली है
कभी सुख का सूरज चमका
तो कभी दुःख के बादल छाये
जाने कैसे कैसे मोड़
इस जिंदगी में आये
आज उन सब यादों की
टूटी फूटी तस्वीरें
जुड़कर
एक कोलाज बन गयी है
यादों के झरोखों से
दिखने वाली
मेरी जिंदगी की कोलाज
फुरसत में बैठा हूँ
तो यादों के झरोखों से
कितनी सारी यादें
झांक रही हैं
उन झरोखों पर पड़ी धुंध को
हाथों से हटाता हूँ तो
कितने सारे लम्हे
सामने से गुजर जाते हैं
यादों की अँधेरी गलियों से निकल कर
क्रम से खड़े हो जाते हैं
मेरी यादों में अपनी
उपस्थिति दर्ज कराने
और प्रतीक्षारत हो जाते हैं
उनसे होकर
मेरे गुजरने के लिये
सोचता हूँ आज जब
समय भी
मेरे साथ फुरसत में बैठा है तो
उन बीते लम्हों को
एक बार
फिर से जी लूं
कितना लम्बा समय निकल गया
हर पल
फिर भी यूँ लगता है
जैसे
अभी अभी
जिया हूँ मैं
बचपन की अठखेलियाँ
यौवन की रंगरेलियां
फिर उनसे मिलना
हमारे प्यार के
फूल का खिलना
मिलना फिर
मिलकर बिछडना
हंसना रोना
पाना खोना
लड़ना पछताना
रूठना मनाना
सब
अभी अभी तो
जिया हूँ मैं
जाने कितनी ऋतुएं बीतीं
पर आज भी
हर वसंत की खुशबू
मेरी साँसों में घुली है
हर बारिश के छीटों से
मेरी यादें आज भी धुली हैं
किसी भी जेठ की तपन
मुझको नहीं भूली है
कभी सुख का सूरज चमका
तो कभी दुःख के बादल छाये
जाने कैसे कैसे मोड़
इस जिंदगी में आये
आज उन सब यादों की
टूटी फूटी तस्वीरें
जुड़कर
एक कोलाज बन गयी है
यादों के झरोखों से
दिखने वाली
मेरी जिंदगी की कोलाज
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