Thursday 28 June 2012

दूरी ज़रूरी है प्यार के लिए

दूरी ज़रूरी है प्यार के लिए 

नजदीकियों से अक्सर हम दूर हो जाते हैं 

और दर्द सहने को मजबूर हो जाते हैं 

हम कब मैं में बदल जाता है 

पता नहीं चलता 

कहीं ना कहीं हमारे अहम टकराने लगते हैं 

फिर हम एक दूसरे से कतराने लगते हैं 

एक सोचता है मैं क्यूँ जाऊं उसके पास 

दूजा सोचे क्या वो नहीं आ सकते मेरे पास

चाँद सूरज की उपमाएं बासी लगने लगती हैं 

सांस भी उनकी महक से उबने लगती हैं 

जिस दिल में बसती थी कभी दुनिया उनकी 

वो दिल वो दुनिया उनकी आहों से डूबने लगती है 

कभी जिसके इंतज़ार में रात पलकों में काट लेते थे 

उनके क़दमों की आहट भी अब कानों में चुभने लगती हैं 

अपना वजूद खोकर जिसे दिल-ओ-जान से चाहा था 

वो नज़रें अब अनजानी सी लगने लगती हैं 

फिर क्यूँ हम अपने प्यार को पनपने ना दें 

और कभी पास कभी दूर होकर अपने प्यार को बढ़ने ना दें 

और फिर ये कहें ----

“ तुमसे दूर होकर हमने जाना प्यार क्या है “


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