Thursday 28 June 2012

कहाँ खो गए तुम

कहाँ खो गए तुम

मेरे साथ चलते चलते 

हमने तो तुम्हारे क़दमों के निशां भी देखे 

यूँ ही साथ चलते चलते 

तुम्हारे क़दमों के निशान कहाँ खो गए 

मेरे साथ चलते चलते 

कितने पल खुशियों के हमने बांटे थे 

हम साथ चलते चलते 

गम भी कुछ आये थे यूँ ही

कभी साथ चलते चलते 

बारिशों की जशन में 

गर्मी की तपन में 

जाड़े की गलन में 

हमने कितना आनंद उठाया था 

यूँ ही साथ चलते चलते 

सवेरे की ठंढक में 

दुपहरी की धुप में

शाम के धुंधलके में 

रात के अँधेरे में 

तुमने हर पल मेरा साथ दिया 

मेरे साथ चलते चलते

फिर आज क्यूँ तुमने अकेले ये फैसला लिया 

मेरा साथ छोड़ने का

मेरे साथ चलते चलते 

मेरे हमसफ़र ऐसे मेरा साथ ना छोड़

मेरे साथ चलते चलते

1 comment:

  1. मेरे हमसफ़र ऐसे मेरा साथ न छोड़ ...
    मेरे साथ चलते चलते ..........very touchy.....

    ReplyDelete