Thursday 28 June 2012

जानते हो कौन हूँ मैं ?

अगर मैं जन्मी होती 

तो शायद ये मेरी तस्वीर होती 

जानते हो कौन हूँ मैं 

मैं उस रचयिता की वो रचना हूँ

जिसको इस लोक के लोकपालों ने 

जन्म के सुख से वंचित कर दिया 

हाँ मैं उस माँ की अजन्मी बेटी हूँ 

जिसकी कोख में 

मेरा होना उन्हें गंवारा नहीं था 

इसलिए मुझे घर से

एक अनचाहे सामान की तरह

हटाने का निर्णय लिया 

मेरे आंसू नहीं देखे किसी ने 

ना ही किसी ने मेरी आह सुनी 

ये भी नहीं सोचा 

मुझे जन्म देने वाली माँ क्या चाहती है 

क्यूंकि वो औरत है इसलिए 

वह चाह नहीं सकती है 

उसका तो बस एक काम है 

अपने कुल के लिए 

कुलदीपक देना 

इसलिए 

मेरे उसके कोख में आने से पहले 

उसे मुझे खोने का डर 

मुझे विचलित करता है 

क्योंकि हर बार जब मैं मरती हूँ 

वो मेरे साथ साथ मरती है 

और मुझसे उसका

यूँ बार बार मरना देखा नहीं जाता है

पर कहते हैं 

ऐसा समय आने वाला है 

जब मेरी माँ

निर्भीक होकर 

मुझे अपने गर्भ में पालेगी 

और मैं

उसके कोख से जन्म लेकर

अपने भाग्य पर इतराऊंगी

वो समय ज़रूर आएगा

हम सब अजन्मी बेटियां

उस पल के इंतज़ार में हैं

आएगा ना वो पल माँ?












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