अभी कुछ दिन हुए
उनसे मुलाक़ात हुई
फिर उनसे बात हुई
बातों का सिलसिला ऐसा चला
जज्बातों की आंधी चलने लगी
एह्सासों का सैलाब उमड़ पड़ा
वो जन्मों जन्मों से अपने लगने लगे
उनसे रिश्ते पुराने निकलने लगे
उनका मुस्कुराना
मुड़ मुड़ कर मुझे देखना
इठलाना इतराना
और मेरा यूँ नाज़ उठाना
सब कुछ पहले सा लगने लगा
कौन से रिश्ते में हम बंधे थे
जाने कब कहाँ हम मिले थे
शायद किसी और जनम की बात हो
किसी और धरती की मुलाकात हो
कैसे ये रिश्ते बनते हैं
रूहों से रूह जुड़ते हैं
तभी तो जन्मों जन्मों तक
ये रिश्ते ऐसे ही पनपते हैं
बिछड़ते हैं फिर मिलते हैं
kya baat hai...bahut sunder!!!!
ReplyDeleteये रिश्ते ऐसे ही पनपते हैं ...:)
ReplyDeletebehtreen...!!!!
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