Thursday 28 June 2012

जेठ की दुपहरी

जेठ की दुपहरी 

खुला आसमान

तपता सूरज

बढ़ता तापमान

जलती धरती

आग की बारिश 

तमतमाए चेहरे 

प्यासे लोग 

पानी की किल्लत

चिलबिलाती भीड़ 

उजड़ा नीड़

साए की ललक

पेड़ों की हलक 

धुल की परत 

सड़क सड़क 

रास्ते मैदान

सुखा खलिहान 

बारिश की आस 

हर एक निराश 

मेघा आके बरसो ना 

हमरे ऊपर तरसो ना

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